प्रिय सनी
"....."
पिछले साल इसी दिन पत्र लिखा .... एक तरफा पत्र....
बारी मेरी है,तो थोड़ा न थोड़ा लिखना ही पड़ेगा वादे के अनुसार....सो इस बार भी ....
आज याद करते हैं पहली सालगिरह की..... खूब यादगार दिन ....
सालगिरह से पहले ..वत्सल था और इसी दिन छोटे भैया की शादी तय थी.....पूरी बस भर बरात लेकर आए थे वत्सल के नामकरण का प्रोग्राम भी साथ ही निपटा लिया था हमने..... माँ के घर ही रुके थे सब फिर बाराती बने......
.
.
.
और हमको तो वक्त भी नहीं मिला था विश करने का एक-दूजे को.... मैं वत्सल में व्यस्त और तुम घर की शादी में.....
दूसरे दिन निकलना भी था वहाँ से भोपाल और दो दिन में आसनसोल.......
फ़ोटो 14 जनवरी 1986 का है वत्सल का आसनसोल का और ये "दागिने"बनाए थे आई ने घर पर खुद चिरौंजी बनाकर ....खूब याद है......
बस इतना ही......
.
.
आज बहुत वक्त है पर विश आज भी दूर से करना मजबूरी है.......
.
मेरा निकलना भी तय नहीं ......
मायरा ने ऊँगली थाम रखी है...... एक मेरी और एक तुम्हारी वाली भी मेरी ही.....
.
कौन मायरा?...... ये तो बताना नहीं पड़ेगा न!:P..आपकी लाड़ली रानू की बेटी.....अपनी नातिन....
हा हा हा .......नानू बन गए हो....अब ......
बधाई हो........ . . . उसे मुझे बताना पड़ेगा.....कौन नानू.......
......