Saturday, March 28, 2015

ईश्वर के नाटक की पात्र -कठपुतली

आज उसे ऑफिस में देखा ...चमकीली आँखे घुंघराले बाल थोड़े बिखरे से......चुपचाप बैठी थी सोफे पर अपनी मौसी के दुपट्टे का कोना पकड़े.....चेहरे पर भाव ऐसे कि जाने कितने प्रश्न पूछ रही हो.जिनके जबाब उसे अभी नहीं मिले......
उम्र 4 साल के करीब....

एडमिशन के लिए मौसी और मौसाजी के साथ आई...
..माँ...?नहीं आई...आ पाई .....
नहीं माँ अब नहीं है कुछ दिन पहले स्वाईन फ्लू की शिकार हो कर चल बसी.....
और पिता ?
दर असल माता -पिता का तलाक हो गया और ये माँ के साथ यहाँ नानी के घर आ गई....थी ,नाना तो पहले ही नहीं थे ,नानी भी चल बसी.मौसी शादीशुदा है बड़ी...बहन..माँ की .....और घर में एक छोटा मामा.... बस...
तो मौसी मौसाजी ले आए.....
लेकिन अब परेशानी ये है कि मौसी- मौसाजी उसे गोद नहीं ले सकते क्यों क़ि उनके अपने बच्चे है...... उनका  एक छोटा भाई है,जिसके बच्चे नहीं है ,अब वो इसे गोद लेगा ,मगर उसकी आर्थिक स्थिति ऎसी नहीं कि इसे अच्छे स्कूल में पढ़ा कर खर्चा उठा सके.....
तो हल ये निकाला गया है कि भाई गोद लेगा और खर्च ये उठाएंगे......
......
मैं हँसू या रोऊँ..... सूझा नहीं.........बस आँखों में आँसू आ गए ........
दिल ने कहा - दुनिया बड़ी है,क्रूर है,मगर फिर भी जिन्दा रहने लायक है........जियो गुड़िया..... खूब खुशी से जियो....सहमों नहीं....तुम भी किसी मकसद से ही आई हो.......विश्व रंगमंच दिवस पर दुनिया के सृजन कर्ता के नाटक जीवन के एक पात्र को जीती एक कठपुतली .......

4 comments:

Onkar said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

dr.mahendrag said...

सुन्दर रचना

dj said...

हम सभी तो कठपुतली हैं बस किसी की डोर ईश्वर ने थाम रखी है जैसे हम और किसी की ईश्वर के हाथ से छूट चुकी है जैसे कि ये गुड़िया। बहुत संवेदनशील संस्मरण। साहित्य के रूप में मोती बिखेर देतीं है आप हर पन्ने पर लेकिन फिर भी आपने अपनी एक पोस्ट में लिखा है
समझ नहीं आता मेरे लिखे को अच्छा कैसे कहता होगा कोई ,
क्या मुझसे भी बुरा लिखता होगा कही कोई ....
Posted by अर्चना चावजी Archana Chaoji at 11:29 अगर आपसे बुरा लिखने वाले को जानना चाहतीं हैं तो जरा एक बार इधर हमारी लिखीं पोस्ट भी पढ़ने का साहस जुटा ही लीजिये आप जान जाएँगीं कि दुनिया में सबसे खराब कौन लिखता है?जानती हूँ आपका समय अमूल्य है पर विनती है एक बार dj के ब्लॉग्स एक लेखनी मेरी भी और नारी का नारी को नारी के लिए का अवलोकन करलें ब्लॉग जगत में नए नए कदम रखने वाले हम जैसे तथाकथित लेखकों भी आपके मार्गदर्शन की परम आवश्यकता है
http://lekhaniblog.blogspot.in/ एक लेखनी मेरी भी
http://lekhaniblogdj.blogspot.in/ नारी का नारी को नारी के लिए

dj said...

आपको दिव्या जोशी का सादर नमन,
आप रोज़ अपने पन्नों पर मोती बिखेरतीं हैं और आज वही मोती आपने अपनी टिप्पणी के माध्यम से मेरी आँखों में बिखेर दिए हैं। बहुत प्रसन्नता हुई द्रोणाचार्य अपने शिष्य के द्वार पधारे। मेरा ब्लॉग पावन हो गया। बहुत बहुत आभार। ह्रदय से। आपका मार्गदर्शन ऐसे ही मिलता रहा तो अवश्य इस नाम को साकार कर पाऊँगी। दक्षिणा दे पाना मेरा सौभाग्य होगा।