Friday, March 4, 2016

ये धौंस जमाने वाले बच्चे!

जब से छात्र राजनिती की बातें खबरों में आ रही है , मेरे साथ घटी एक घटना याद आ गई आज ....
मैं जहाँ रहती थी १२ फ़्लैट थे , ६ में परिवार और ६ में पढ़ने वाले बच्चे रहते थे ,बच्चे किरायेदार ही थे .... मेरे पास मेन्टेनेंस देखने की जिम्मेदारी थी .... पढ़ने वाले लड़कों के साथ सदा ये देखा गया कि जो किरायेदार है या जिन चार-पांच लड़कों ने किरायेदार बनकर घर लिया , उनके साथी बाहर से आ आकर रूकते रहते , कभी ये बाहर रहते ...यानि कुल मिलाकर ये कहना/बताना मुश्किल कि कौन यहाँ रहता है और कौन बाहर ...पता ही नहीं चलता ..कभी उनका कोई साथी कमरा छोड़ देता तो दूसरा बदल कर कब रहने लगता जान नहीं सकते थे,
समय पर नल से पानी न भर पाने पर चौकीदार को कुछ पैसे दे दो ,और मोटर चलवा लेना, जैसे कई काम नियम तोड़कर करना फ़र्ज समझते थे ...
१० बजे गेट पर ताला लगा देने का नियम था तो बाउंड्रीवाल फ़ांदकर अन्दर आते चौकीदार को जगाते .... चूंकि मेरा घर पहली मंजिल पर था तो कई बार चौकीदार को जगाने मुझे ही आना पड़ता .... चुपचाप सॉरी कहते सीढ़ियां चढ जाते ....
एक बार रात को चौकीदार से ताला खुलवाने की बात पर झगडे़ की आवाज आने लगी ... जब गाली-गलौज और देख लेने की बात सुनाई दी तो मैं नीचे गई ... बाहर एक बड़ी गाड़ी में दो लड़के थे ,दोनों यहां नहीं रहते थे ...मैंने चौकीदार और उन लड़कों की बात सुनी ...पता चला उनमें से एक लड़का दूसरे को छोड़ने आया था , दोनों ड्रिंक किये हुए थे ...और चौकीदार भी .... :-( और खास बात ये कि जिस फ़्लैट पर रूकने के लिए वो आया था , वहां वाला लड़का पूना में था , ये भी पता चला कि वो दो दिन से उसके साथ ही रूका था मगर आज वो चला गया आठ दिन के लिए , तब तक ये २-४ दिन यहीं रूकेगा ...इस बात की न तो मकान मालिक न मुझे कोई जानकारी थी ...चौकीदार को ये पता था कि ये यहां आया हुआ है मगर जो किरायेदार था वो आज चला गया ,तो वो इसे आने नहीं दे रहा था ... मेरे ये कहने पर कि मुझे कोई सूचना नहीं है कि आप रूके हो , तो आज आप नहीं रूक सकते ,जब तक मेरी उस लड़के या मकान मालिक से बात नहीं करवा देते ... उस लड़के को फोन लगा कर बात करवाई तो वो बोला आंटि आपको जो करना हो देख लीजिये , ये कहने पर कि मकान मालिक से पूछ लो वो मुकर गया था .... मैंने उन लड़को से ये बात बताई --- तो वो मुझे कहने लगे- आप जानती नहीं मैं फलां नेता (नाम नहीं दे रही)का रिश्तेदार हूँ ... वो यहां यूनिवर्सिटी में फलाने पद पर है .... तब तक मैं चौकीदार को डांट रही थी कि अगर दिन में तुमने रहने दिया है तो रात को भी रहने दो ... लेकिन उनकी इस बात पर मुझे आया गुस्सा ,मेंने कहा- बेटा जिसके रिश्तेदार हो उसका फोन मिलाकर कहो कि एक रात उनके यहां आपको रूका ले ... बहुत बड़ा छात्र नेता है .इतनी मदद तो कर ही देग आपकी .....मैं तो आपको जानती नहीं न यहां कोई है जो आपसे परिचित हो .. फिर साथ आये लड़के से ही कहा बेटा आप तो समझदार हो ,मैं गलत तो नहीं कह रही, आज आपके यहां ही ले जाईये इन्हें ....दोनों चले गए ...५ मिनट में २-४ लड़कों को और लेकर आए ... लेकिन मैं वहीं रूकी हुई थी .... और साथ वाले उसी कॉलोनी के ..... सब वापस चले गए और उन्हें भी वापस ले गए ....

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