न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
जिंदगी से सवाल कुछ किये, कुछ नहीं सवालों के जबाब कुछ मिले, कुछ नहीं
मैंने तुमसे कुछ कहा, कुछ नहीं तुमने मुझे कुछ समझा, कुछ नहीं
दिल का दिल से रिश्ता कुछ है, कुछ नहीं तुम्हारा मुझसे वास्ता कुछ है, कुछ नहीं
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