(फोटो मोबाइल से एकदम ताजा खींचा भाभियों के बगीचे से मां के आंगन में धूप खाते हुए,और फोटो देख यहीं पंक्तियां लिखी बेटी दिवस पर।)
नागचंपा के आंचल में,
यूं ही गुड़हल सी सुर्ख हो,
हंसती,खेलती,
खिलखिलाती,झूमती रहे
बेटियां
स्वेच्छा से गुलाब का हाथ पकड़,
या गुलाब को परे धकेल
आगे बढ़ आकाश को छू ले बेटियां।
- अर्चना