एक जैसा दुःख मेरा तुम्हारा ,
मैंने खोया चाँद, तुमने तारा ,
मैंने खोयी खुशी ,तुमने हँसी ,
फ़िर भी हम दोनों को जीना है,
अपने आंसुओ को अकेले पीना है ,
यहाँ पर मै तेरे साथ ,व तू मेरे साथ है,
बाकी सब ऊपरवाले के हाथ है ,
वहां किसी के साथ कोई दगा नही होता ,
क्योकि ,ईश्वर और मौत का कोई सगा नही होता|
6 comments:
रचना के भाव बहुत सुन्दर हैं।बधाई स्वीकारें।
ईश्वर और मौत का कोई सगा नही होता
सच लिखा है आपने
वहां किसी के साथ कोई दगा नही होता ,
क्योकि ,ईश्वर और मौत का कोई सगा नही होता|
wah sashakt satya,sundar rachana badhai
//वहां किसी के साथ कोई दगा नही होता ,
क्योकि ,ईश्वर और मौत का कोई सगा नही होता|//
यही एक शाश्वत सत्य है! बाकी सब असत्य है!!:)
सही लिखा औरे अच्छा लिखा ।
sachchaa likhaa archana ji
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