ईश्वर ने हर किसी ,को कोई काम दिया है ,
अगर काम ठीक से किया, तो फ़िर नाम दिया है |
पेडो से कहा है -देना ,
पक्षियों से -गाना |
पर्वत को कहा- खड़े रहना,
नदियों को कहा- बहना |
चाँद को कहा- ठंडक देना ,
सूरज को - चमकना |
हवा से कहा- संभलकर चलना,
बादल से - बरसना ,
धरती से कहा -सबको समेट लेना ,
आसमान से -ढकना|
फूलो को कहा- सुगंध बिखेरना ,
बच्चों को कहा- हँसना |
नर को कहा-संभालना ,
नारी को कहा - सहना |
मैंने अब तक ऐसा समझा, है तुझे ये बताना ,
अगर तू इसे समझा हो तो ,औरो को भी बताना |
चप्पे-चप्पे पर रहने वाले का नाम लिखा है ,
और दाने-दाने पर खाने वाले का नाम लिखा है|
खुदा ने अपनी हर एक चीज पर ,
बन्दे के लिए कोई न कोई पैगाम लिखा है |
5 comments:
सरल शब्दों में बड़ी अच्छी कविता
बधाई, अर्चना जी !!
ईश्वर ने हर किसी ,को कोई काम दिया है ,
अगर काम ठीक से किया, तो फ़िर नाम दिया है |
पेडो से कहा है -देना ,
पक्षियों से -गाना |
पर्वत को कहा- खड़े रहना,
नदियों को कहा- बहना |
चाँद को कहा- ठंडक देना ,
सूरज को - चमकना..... बड़ी अच्छी कविता
बहुत सही विचार....सुंदर ढंग से लिखा !!
धन्यवाद,सतीश जी,मनविन्दर जी,एवं संगीता जी हौसला अफ़जाई के लिये।
रचना के बहुत सुन्दर भाव है।बधाई।
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