खुशियों का त्यौहार है , फिर दिल में क्यों गम है ?
पकवानों में वही मिठास , फिर क्यों लगता है कुछ ...कम है ?
सब पहले जैसा करने की कोशिश में , फिर आँखे क्यों नम है ? रंगों का मौसम है , फिर क्यों सूने हम है ?
रंगपंचमी की सभी को बधाई !!!!!!!!!
पकवानों में वही मिठास , फिर क्यों लगता है कुछ ...कम है ?
सब पहले जैसा करने की कोशिश में , फिर आँखे क्यों नम है ? रंगों का मौसम है , फिर क्यों सूने हम है ?
रंगपंचमी की सभी को बधाई !!!!!!!!!
4 comments:
आपको भी बहुत-बहुत बधाई ।
रंगो के अपने मायने अपने अर्थ खो गये है
देखिये तो सही ये कितने बदरंग हो गये हैं
रंगपंचमी की बधाई
यही जीवनधारा है...
रंगपंचमी की बधाई
आपको भी रंगपंचमी की बधाई
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