Monday, July 5, 2010

बादल की कहानी .............................................बादल की जुबानी .......................

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सुनिए दिलीप  की ये कविता............................

http://yourlisten.com/Archana/waha-barasunga

6 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत भी प्यारा सा गीत और बालमन का तर्क!
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सुनकर आनन्द आ गया!

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया!

निर्मला कपिला said...

अवाज का जादू चल गया। अति सुन्दर। बधाई।

Girish Billore Mukul said...

aanandit kar gayaa ye prasaaran

कविता रावत said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत ही प्‍यारी कहानी।

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प्रेम एक दलदल है..
’चोंच में आकाश’ समा लेने की जिद।