Thursday, November 11, 2010

माँ कैसी होती है ???



पहले सुबह उठकर
सपने बुनती थी
अब सपने सोचकर ही
रोज सोती है
माँ ऐसी ही होती है।
पहले खोई रहती थी
सपनों में
अब सपनों के
खोने से डरती है
माँ ऐसी ही होती है  ....   



5 comments:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बेहद सुंदर..... माँ से जुड़ा हर ख्याल अच्छा लगता है ..... यह भी मन को छू गया

बाल भवन जबलपुर said...

सच मां जिसे कल याद कर सोया सुबह बेहद हल्की और अब तक की सबसे सुन्दर सुबह थी

DIL SE said...

तूने तो मेरे दिल कि बात शब्दो मे उतार दी.

santosh pandey said...

अर्चना जी नमस्कार.
भावपूर्ण कविता है. मन को चुने वाली.सचमुच मन की याद दिलाती हुई.

सुज्ञ said...

बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!

हाँ, माँ ऐसी ही होती है।