खुद को समझाया,
खुद को ही डाँटा,
खुद ही परेशान रही.
खुद से बातें की,
पर खुद को न बदल पाई,
कितनी मुश्किल है खुद से मुलाकात,
ये कल ही मैं जान पाई,
बहुत अच्छा लगा खुद से मिलकर,
लगा खुदा से मिल आई हूँ,
और अब मैं खुद ही खुद बने रहना चाहती हूँ ,
हे ईश्वर बस!..मुझे खुद ही बनकर जीने देना,
मैं खुद को नहीं बदल पाउँगी,
जब -जब मन करेगा तुझसे मिलने का
मैं खुद ही खुद में चली आउँगी......
तू मुझसे यूँ ही मिलते रहना,
तभी खुद की तरह जीने के लिये..
तेरी बनाई दुनियाँ को मैं समझ पाउँगी...
18 comments:
so beautiful !
I love your blog . I have read all your posts . Since long time I am reading it , you sing so sweet . God bless you , You are a good teacher , great mom and bua for your nephew .
कई बार अपने से मिलकर अच्छा लगता है, कोई सच्ची बात करने वाला तो मिलता है।
खुद से मिलना आसान नहीं- मिल लिया तो खुदा को पा ही लिया
कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना आया... खुद से खुदी और खुदी से खुदा तक का सफर बड़ा लंबा है.. उम्र गुजार जाती है.. जब लगता है कि अब मुलाक़ात होने ही वाली है, दूरियां और बढ़ जाती हैं!!
बहुत ही सुन्दर है!!
खुद से मुलाक़ात करने में सारी उम्र गुज़र जाती है .. अच्छी प्रस्तुति
मनीषियों ने भी यही कहा है कि आत्मा सो परमात्मा ...
शुभकामनायें आपको !
बेहतरीन ... ।
कल 21/12/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, मेरी नज़र से चलिये इस सफ़र पर ...
सुंदर दर्शन।
khud se milte rahna khud ko jaanna hi jeene ki raah tay karte hain.bahut achchi rachna.
sundar..
:):)
एक Quote याद आ रहा है विवेकानंद जी का की 'Talk to yourself once in a day otherwise you will miss an opportunity to meet an excellent person in this world'
खुद से अच्छा और सच्चा साथी सचमुच कोई नहीं...
अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
सादर.
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ।
सादर
सच में कभी खुद से मिलना भी बहुत अच्छा लगता है...बहुत सुंदर प्रस्तुति..
खूबसूरत अभिव्यक्ति
sundar abhivykti
आपका पोस्ट बहुत ही अच्छा लगा । हमेशा आते रहूँगा । मेरे नए पोस्ट "उपेंद्र नाथ अश्क" पर आपका बेसब्री से इंतजार करता रहूँगा ।.धन्यवाद ।
vah bahut khoob likha hai badhai .
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