Tuesday, January 31, 2012

समारोह शुरू.....1- मेंहंदी......


सबसे पहले हुई मेंहंदी की रस्म... पल्लवी की......16 जनवरी....गीत सुनते जाईये और आप भी शामिल हो जाईये..

१ -
 
 २-

 ३-


       
           







Sunday, January 29, 2012

मुनिया का बचपन

---माँ........माँ .....देखो न !! इस मोटे कालू को समझा लो .........मुझे कुछ भी कह कर बुलाते रहता है..उं..हूं....उं....
---अपनी माँ से कहा रोते-रोते मुनिया ने...
माँ ---अरे!! ऐसे कोई चिढ़ता है क्या ?? तू भी तो उसे मोटा,कालू कह रही है ....
---मगर माँ मै तो उसे वही कहती हूँ जो वो है ....और वो मुझे वो कहकर चिढ़ाता है जो मैं नहीं हूँ ..
ऐसा भला कैसे??? माँ का सवाल था ।
--माँ देखो !! वो मुझे मोटी कहता है, मैं मोटी नहीं हूँ न ?.....हँस दी थी माँ ...

--तो ये तो वो आज थोडे़ ही न कह रहा है पहले भी कहता रहा है ..दोस्त है तेरा,  दोस्त की बात का बुरा नहीं मानते...
...समय के थपेड़ों से बच्ची बन चुकी अपनी पचास वर्षीया बेटी मुनिया का सर अपनी गोदी में रख बालों को सहलाते हुए तिहत्तर वर्षीय माँ समझा रही थी..... 

मुनिया का कहना जारी रहा---- वो अब मुझे "देवी" कहता है ....क्या मैं देवी हूँ ? माँ तुम तो कहती हो सब कुछ देवी की ईच्छा से होता है ....क्या सब कुछ मेरी ईच्छा से हुआ है ? माँ अब चुप थी .....


..और मुनिया ..........फ़िर पीछे दौड़ पड़ी थी अपने दोस्त को कालूउउउउउउ मोटेऎऎऎऎऎ कहते हुए............

बचपन में जीना और बचपन को जीना सीख लिया था मुनिया ने ..........

Tuesday, January 10, 2012

हर खुशी हो वहाँ तू जहाँ भी रहे

                                        पल्लवी और नेहा--------------एक गीत तुम्हारे लिये-------
अनुराग जी की मदद से ऑडियो तो हासिल कर लिया पर तंग आ गई इसका ऑडियो नहीं बजने को तैयार हुआ डिव शेअर मुझसे रूठा है आपको सुनाए तो सुन लेना --यहाँ --http://www.divshare.com/download/16542726-2d6
              
मगर ये उसे पसन्द आ गया शायद ---
(राजेन्द्र स्वर्णकार जी कि एक रचना)

 


और ये गीत तुम सबके लिये -----

                 

Tuesday, January 3, 2012

क्या कहना !!!

( Autoplay करना चाहा था ,नहीं कर पाई ..अब प्लेयर खुद चलाना होगा )...:-)