रचना को जन्मदिन की बधाई व शुभकामनाएं ---
‘ हमारी फ़ितरत ही ऐसी है कि
एक जैसी ठहर नही पाती है हर नये दिन के साथ वो भी बदल जाती है!’....!
सदा यूँ ही हँसती रहो....और लिखती रहो......
"मैं आम नहीं खास हूँ "
क्या पता मै कौन हूं!
वाणी या कि मौन हूं!
मै एक उजली आस हूं,
मै एक अथक प्रयास हूं!
अलगाव हूं, रूझान हूं,
जिम्मेदारी हूं, एहसान हूं!
मै सतह हूं, थाह हूं,
शक्ति मै अथाह हूं!
मै दुख हूं, हर्ष हूं,
साहस हूं, संघर्ष हूं!
प्रचूर हूं, अल्प हूं,
प्रयोग का प्रकल्प हूं,
समस्या हूं, विकल्प हूं!
मै एक द्रूढ संकल्प हूं!
मै एक तीव्र चाह हूं,
खुद ही अपनी राह हूं!
मै प्यार का सम्बन्ध हूं,
या कि मै अनुबन्ध हूं!
मै कर्म हूं और साधना,
और मै आराधना!
मै काव्य हूं और छन्द हूं,
और मै निबन्ध हूं!
आरंभ हूं और अन्त भी,
सूक्ष्म हूं, अनन्त भी!
कही गयी, अभिव्यक्त हूं,
या कि मै अव्यक्त हूं!
सत्य हूं, और स्वप्न हूं
भाग्य हूं, प्रयत्न हूं!
सफ़ल भी हूं, विफ़ल भी हूं,
प्रश्न मै और हल भी हूं!
कठिन हूं मै, सरल भी हूं,
कठोर भी, तरल भी हूं!
गूथी हुई, उलझन भी हूं,
और मै सुलझन भी हूं!
विचार की उत्प्रेरणा ,
मै कर्म की हूं प्रेरणा!
न्यून हूं, समग्र भी,
शांत हूं, और व्यग्र भी!
वेदना, संवेदना हूं
जड़ भी हूं, हूं चेतना!
सुनहरी उजास हूं !
मै आम नही खास हूं !!
- रचना बजाज
और मेरी ओर से एक गीत तुम्हारे लिए...
‘ हमारी फ़ितरत ही ऐसी है कि
एक जैसी ठहर नही पाती है हर नये दिन के साथ वो भी बदल जाती है!’....!
सदा यूँ ही हँसती रहो....और लिखती रहो......
"मैं आम नहीं खास हूँ "
क्या पता मै कौन हूं!
वाणी या कि मौन हूं!
मै एक उजली आस हूं,
मै एक अथक प्रयास हूं!
अलगाव हूं, रूझान हूं,
जिम्मेदारी हूं, एहसान हूं!
मै सतह हूं, थाह हूं,
शक्ति मै अथाह हूं!
मै दुख हूं, हर्ष हूं,
साहस हूं, संघर्ष हूं!
प्रचूर हूं, अल्प हूं,
प्रयोग का प्रकल्प हूं,
समस्या हूं, विकल्प हूं!
मै एक द्रूढ संकल्प हूं!
मै एक तीव्र चाह हूं,
खुद ही अपनी राह हूं!
मै प्यार का सम्बन्ध हूं,
या कि मै अनुबन्ध हूं!
मै कर्म हूं और साधना,
और मै आराधना!
मै काव्य हूं और छन्द हूं,
और मै निबन्ध हूं!
आरंभ हूं और अन्त भी,
सूक्ष्म हूं, अनन्त भी!
कही गयी, अभिव्यक्त हूं,
या कि मै अव्यक्त हूं!
सत्य हूं, और स्वप्न हूं
भाग्य हूं, प्रयत्न हूं!
सफ़ल भी हूं, विफ़ल भी हूं,
प्रश्न मै और हल भी हूं!
कठिन हूं मै, सरल भी हूं,
कठोर भी, तरल भी हूं!
गूथी हुई, उलझन भी हूं,
और मै सुलझन भी हूं!
विचार की उत्प्रेरणा ,
मै कर्म की हूं प्रेरणा!
न्यून हूं, समग्र भी,
शांत हूं, और व्यग्र भी!
वेदना, संवेदना हूं
जड़ भी हूं, हूं चेतना!
सुनहरी उजास हूं !
मै आम नही खास हूं !!
- रचना बजाज
और मेरी ओर से एक गीत तुम्हारे लिए...