Thursday, January 10, 2013

जाड़ा और धूप ...



















(चित्र गूगल से साभार)

आज प्रस्तुत है अनूप शुक्ला जी के ब्लॉग "फ़ुरसतिया" से कुछ क्षणिकाएँ-


धूप खिली उजाले के साथ


प्रस्तावना सलिल भैया  की मदद से तैयार हुई ....आभार नहीं कर सकती .... :-)

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11 comments:

अनूप शुक्ल said...

वाह! सुबह-सुबह आपकी आवाज में इन (तथाकथित) कविताओं को सुनकर आनन्दित हो गये। बहुत मेहनत की आपने। कमेंट्री तो कविताओं से भी जबरदस्त है। बिहारी बाबू ग्रेट हैं। :)

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सभी को आभार। .. अच्छा लगा।

Akash Mishra said...

प्रस्तावना , फिर क्षणिकाएं , पूरा संयोजन ही बहुत अनुपम है |

सादर

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बेहतरीन उम्दा … जय हो

सदा said...

वाह ... बेहतरीन

Anonymous said...

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चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

सुकुल जी के व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रहा जा सकता.. और इनकी रचनाएं भले ही हल्की-फुल्की हों, मगर हलके में नहीं ली जा सकतीं.. इन क्षणिकाओं और इनके इस पॉडकास्ट से जुडी सबसे मजेदार बात यह रही कि मैंने शुक्ल जी की पोस्ट पर टिप्पणी की और उसी समय यह फैसला किया कि अर्चना को कहूँगा इसे पॉडकास्ट करने को. संजोग से अर्चना भी मिल गयी चैट में और बोली, "भैया! अनूप जी की कविताओं का पॉडकास्ट बनाना है!"
संजोग ऐसे ही बनाते हैं और भाई बहन की फ्रीक्वेंसी भी!!रिज़ल्ट आपके सामने है..
जितनी खूबसूरत क्षणिकाएं - उतनी ही सुन्दर प्रस्तुति!!

डॉ. मोनिका शर्मा said...

उत्कृष्ट ...मनमोहक प्रस्तुति

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

बहुत सुन्दर क्षणिकाएं हैं । खासतौर पर पहली और चौथी ।

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़े ही रोचक अन्दाज में लिखा आलेख..

मुकेश कुमार सिन्हा said...

rochak......