Friday, February 8, 2013

स्वागत बसन्त...


स्वागत तेरा
आँगन आँगन में
मेरे बसन्त ...

पीली सरसों
और लाल पलाश
केशरिया मैं...

प्रीत उमगे
उर में साजन के
मैं शरमाउँ...

बसन्त आया
बिछ गई धरा पे
पीली चूनर...

कोयल बोले
आम के पेड पर
मधुर बोली...

पीली सरसों
चमक उठे खेत
महके मन..

मेरी कोयल
कूकती,चहकती
बसन्त संग...


और अब रविन्द्र संगीत--


इन हायकु को हाइगा के रूप मे बदलने के लिए ॠता शेखर‘मधु’ जी का आभार ...

14 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बासन्ती हाइकू, सुन्दर संगीत..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बसंत का स्वागत करते बेहतरीन हाइकू,,बधाई

RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...

अशोक सलूजा said...

सब बहुत खुबसूरत ....
बधाई !

अरुन अनन्त said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल रविवार 10-फरवरी-13 को चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है.

Unknown said...

chunar basanti pahan kar ,swagat basant ka kijiye,dil ke kone kone ko
,pila pusp arpit kijiye,sundar rachna

Akash Mishra said...

बसंत का सुन्दर स्वागत , बढ़िया क्षणिकाएं |

सादर

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुंदर वासंती हाइकु

Onkar said...

अलग से हाइकु

Rajesh Kumari said...


बसंती हाइकु बहुत सुंदर फूलों जैसे वसंत पंचमी की शुभ कामनाए

दिगम्बर नासवा said...

बहुत सुन्दर हाइकू ... जैसे बसंत में जान डाल डी हो ...

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत सुंदर हाइकु
बहुत बढ़ियाँ...
:-)

सदा said...

वाह ... बहुत ही बढिया

Ramakant Singh said...

बासन्ती हाइकू, सुन्दर संगीत बधाई *****

संजय भास्‍कर said...

वसंत ऋतु के स्वागत में बहुत खुबसूरत हाइकू .....