मुझसे गीत सुनाने की उम्मीद मत करना
आवाज तो तुमने भी ईश्वर से पाई है...
आँखें भी हो चुकीं होंगी बूढ़ी
पर दे देना किसी को कि
इनमें गज़ब की रोशनाई है....
इन होंठों से मुस्कुरानें की आदत तुम लेना
इसे लेने की नही मनाई है
क्यों कि मेरे होंठ तब भी मुस्कुराएं हैं
जब मैनें दुश्मनों से भी नजर मिलाई है ......
6 comments:
मन के भीतर ईश्वर बैठा तो जीवन क्यों न आनन्दित।
बहुत खूब ! लाजबाब प्रस्तुति...!
RECENT POST -: पिता
बहुत खूब ! लाजबाब प्रस्तुति...!
RECENT POST -: पिता
बहुत खूब ! लाजबाब प्रस्तुति...!
RECENT POST -: पिता
रोचक पोस्ट। मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रंण है। धन्यवाद।
बहुत खूब ... इश्वर की माया है सब कुछ ...
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