Sunday, February 9, 2014

मिलिए फेसबुकी अर्चना से ......

कई दिनों से लिखे जा रही हूँ , जब जैसा भाव हुआ वैसा ......कभी किसी को पढ़ने के बाद तो कभी पहले .......इकठ्ठा कर लिया सब यहाँ ,अब साथ पढने को ........

उड़ने को नही पंख
मगर उड़ती हूँ बहुत मैं
चिड़िया या कोई पंछी नही
कि किसी कैद में रहूं ......

बाजुएँ मेरी काट दी जाएं फिर भी तुझे भींच लूंगी
जिजीविषा है मुझमें इतनी कि मौत से भी जीत लूंगी .......

इन्सानियत का कोई रंग अगर होता
तो गोरा और काला तो न होता आदमी
प्यार और विश्वास जो दिल में घुला रहता
तो बार-बार यूँ न रंग बदलता आदमी...

मन को लगाकर पंख भरो ऊँची उड़ान
सूरज से हाथ मिलाकर भर लो मुट्ठी में आसमान ..........

पता नहीं कहाँ आंचल फंसा है मेरा
कि आगे चल ही नहीं पाती
जाने कौनसी झाड़ी है कांटो वाली
या कि बस उसने पकड़ रखा है.....

झाँक कर देखो जरा अपने अन्दर तुम
मिलूँगी मैं तुम्हें वहीं कहीं गुमसुम...

इन्सान जिंदगी के पीछे भागता है, तो जिंदगी उसे मार देती है...
जब इन्सान रोज मरकर भी जीता है, जिन्दगी उसके करीब आने लगती है...
और जब वो हर पल मरकर जिंदगी को जीने लगता है जिंदगी उसकी हो जाती है ...:-)

13 comments:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

कितनी समझदारी की बातें लिखी हैं तुमने!! पढ़कर लगता है वाह-वाही करने से अच्छा इन भावों को अपने जीवन में उतारना!!
जीती रहो!!

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

मन को भीच लेने वाले भाव । सुन्दर कविता जो कही से जोड-तोडकर लिखी गई तो बिल्कुल नही लगती ।

वाणी गीत said...

सूरज से हाथ मिलाने वाली सबसे अच्छी लगी !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

अच्छा..सभी अच्छा..बहुत अच्छा।

ANULATA RAJ NAIR said...

ये फेसबुकी अर्चना कहाँ है दी...ये तो कोई और ही रंग देख रहे हैं हम..भीतर की सुन्दर ,संजीदी अर्चना ..
बहुत सुन्दर दी !

सादर
अनु

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बहुत खूब।

प्रवीण पाण्डेय said...

हर पल की जीवटता से जीवन जीना है, मुठ्ठी भींचकर।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

कितनी सुंदर पोस्ट ..... मन को ऊर्जा देती सी ...आभार

संजय भास्‍कर said...

फेसबुकी अर्चना मासी कहाँ है जी

mridula pradhan said...

bilkul.....hum paron se nahin houslon se udte hain.....

निवेदिता श्रीवास्तव said...

नन्हे - नन्हे लम्हों को एक साथ पढ़ना बहुत अच्छा लगा .... सस्नेह :)

dr.mahendrag said...

बिलकुल मन की ही कह दी,, सुन्दर रचना सुन्दर अभिव्यक्ति

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

मन के भावों की लाजबाब प्रस्तुति...!
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