Monday, April 7, 2014

कोलाज़

नए प्रयोग करते रहने से जीवन नीरस नहीं लगता ......और कोई भी चीज सीखने की तो कोई उम्र भी नहीं होती ........

और सबसे बड़ी बात अपना शौक पूरा करने की ईच्छा

और अपने मन की करने पर मिलने वाली
आत्मसंतुष्टी......
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यानी कि कुल मिलाकर ये ब्लॉग पोस्ट .......:P

5 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कई मन के भाव, चेहरे के रूप।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

एक बच्चे की मुस्कुराहट से शुरू हुई और एक बच्चे की तरह खट्टे फल की खटास से बन्द हुई आँखों पर जाकर समाप्त हुई!
एक यात्रा सा लगता है कोलॉज... एक थीम के साथ प्रयोग करो तो तुम ज़रूर कर पाओगी कुछ नये प्रयोग.. किसी महापुरुष सॉरी महानारी ने कहा भी है - नए प्रयोग करते रहने से जीवन नीरस नहीं लगता ...!! :)

Onkar said...

बढ़िया कोलाज

सुशील कुमार जोशी said...

बहुत बढ़िया है :)

Unknown said...

eak hi insan ki vibhinn mudrain bahut kuch kahati hain

baccha ka khelan,
muskarana,
aankhe bhichana,
sakpakana.

kisi ka aapne me hi kho jana

sari tasvir sunder hain