Monday, May 18, 2015

जाओ अरुणा सुख से रहो

ले दे कर एक ही स्टेटस ऊपर आ रहा है
मर गई वो
अस्पताल के पलंग पर ही
आखिर उठेंगे कब हम
वो तो उठ भी गई होगी
और मर तो हम भी जाएंगे
कहीं न कहीं
लेकिन अब जब
वो इतना ऊपर उठ गई
तो भूल भी तो जाओ
अब छूने के पार चली गई वो
सांस सांस जो मर रही थी
तुम्हारी सड़ांध से
तुम ॥अपनी सोचो
जो गर्त मे गड गए हो
जाओगे पाताल मे
और तब स्टेटस भी ऊपर न आएगा ....
-अर्चना

3 comments:

dj said...
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dj said...

देश के नाम पे धब्बा है अरुणाजी के साथ हुई निर्ममता
अरुणा जी को नम श्रद्धांजलि।

Onkar said...

बहुत सुन्दर रचना