दो रचनाएं पढ़ी फेसबुक पर पहली वाणी गीत जी की सृष्टि की रचना ...और दूसरी आशीष राय जी की चित्र वैचित्र्य ...
और सहज टिप्पणियां हुई -
ईश्वर ने जब रचा होगा ये संसार
मन रहा होगा उसका निर्विकार
साकार किये जब उसने स्त्री और पुरुष
आया न होगा कोई विषम विचार
न मुग्ध हुआ ,न खिन्न हुआ,पर
किया उसने सुन्दरतम विस्तार...
रचकर ये संसार सिखाया
उसने हमको कर्म
न कोई है - अपना पराया
समझा न कोई मर्म
वाणी का आशीष न देकर
अगर वह रह जाता जो मौन
चित्र वैचित्र्य इतना सुन्दर
हमको दिखलाता फिर कौन ?....
2 comments:
सुन्दर रचना
सुन्दर प्रस्तुति
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