Monday, November 29, 2021

जीवन की सांझ में एक विचार


साँझ की बेला, दूर क्षितिज पर
सूरज ले रहा है विदा,अपनी धूप को सिमटा कर

लालिमा ले बादल ने पहन लिए रंगबिरंगी कपड़े
पंछी खेलते उड़ते,लौट चले अपने नीड़ को काम निपटा कर

पसरते ही छांह,आवाज हो गई मद्धम सबकी
मौन करने लगा तैयारी चीत्कार की
दुख को अपने साथ चिपटा कर

मैने जाते सूरज को देख आवाज लगाई
ये कहते कि कल जब आना नया सबेरा लाना
सुख के साथ तरबतर,लिपटा कर
अर्चना
(जन्मदिन की पूर्व संध्या,(25/10/2021) पर नर्मदा किनारे रिसोर्ट के फोटो)


फोटो - वत्सल चावजी 

फोटो -  वत्सल चावजी

Saturday, November 27, 2021

मेरे हिस्से का शून्य

वो जो शून्य है,एक गहरा शून्य है, लाख कोशिश करें पर वो कभी भर नहीं पाता । 

इसमे पीड़ा,बेचैनी,लाचारी,चुप्पी,उदासी,छटपटाहट,तड़प, .....कोई शब्द नहीं समाता,

बस एक मौन ही है जो मरहम का काम करता है।

Wednesday, November 24, 2021

खबर

घटनाएँ बन जाती है खबर,
या बना दी जाती है कविता
फ़िर लोगों तक पहुँचती है,
और कुछ ही दिनों में खो जाती है खबर...
लेकिन वो बात, जो होती है उस खबर का हिस्सा,
या बनती है जिस पर कविता
कई दिनों, बल्कि सालों तक करती है असर...

बस ऐसे ही मन हुआ कि कितनी भी बड़ी दुखद खबर हो उस पर कुछ दिनों तक हर कोई व्यथित होता है लेकिन उसके साथ जुड़े लोग उस घटना को बस भूलने की कोशिश करते रहते हैं ...:-(

Sunday, July 11, 2021

जग घूमिया थारे जैसा न कोई

 
बचपन से घर में सब काम किए तो कभी कोई काम करने से परहेज नहीं रहा। 
चाहे गाय - भैंस दुहना हो या उनका गोबर हटाना हो,उपले थापना हो या संजा बनाना हो।
राजदूत चलाकर पिता के साथ खेत जाना हो या भाई के साथ गाड़ी रिपेयरिंग के लिए झुकानी हो। 
पापड़ के गोले के लिए घन चलाना हो या छत पर दौड़ दौड़ कर आलू चिप्स फैलाना हो।
खेलने के लिए सुबह जल्दी उठकर मैदान जाना हो या गुनगुनी दोपहर सिलाई बुनाई करनी हो गप्पे लगाते हुए।

शायद इसलिए मुसीबत आने पर हर पल डटी रही।

ये घमंड वाली बात नहीं, पर मैने समय आने पर हॉस्टल में झाड़ू पोछा भी किया और बच्चों के कपड़े भी धोए,उनके लिए रोटियां भी बेली और उनको नहलाकर तैयार भी किया,उनके साथ खेली भी और उनके हाथपैर दर्द होने और चोट लगने पर पट्टी पानी भी की।


जब मैंने वार्डन का जॉब छोड़ा तो प्रिंसिपल मैडम ने कहा था कि तुम्हारे जैसी कोई और लाकर दे दो ,
मैं यही कह पाई थी कि मेरे जैसी तो कोई न मिलेगी।

कुछ का कुछ ,जो मेरे साथ होना है

मैं करना चाहती हूं कुछ और हो जाता है कुछ,
ये आज की नहीं बरसों पुरानी बात है
चली आ रही है,
घटित हो रही है
बरसों से मेरे साथ
शायद मेरे ही साथ...

जैसे कि जब मैं खेलना चाहती थी
काम करती थी,
जब मैं पढ़ना चाहती थी, झाड़ू लगाती थी
जब मैं खाना चाहती थी
उपवास करती थी
जब कुछ कहना चाहती थी
चुप रहती थी
सिर्फ खुली आंखों से सपने देखती थी
जब मैं सोना चाहती थी।

आज भी कुछ बदला नहीं मेरे साथ

घूमना चाहती हूं पहिए की तरह 
पर लट्टू बन गई हूं
या कि बना दी गई हूं।

लिखना चाहती हूं
पर कलम घिसने की बजाय
उंगलियां ठोक रही हूं
जैसे कि सितार बजा रही हूं।

गाना चाहती हूं,नाचना चाहती हूं
पर उड़ने लगी हूं 
वो भी आंखें मूंदकर।

जवान रहना चाहती हूं
मगर बूढ़ी हो गई हूं,
या कि कर दी गई हूं।

कौन है? जो ये कर रहा है 
मेरे साथ ,
मुझसे मिलकर
या मुझमें मिलकर

लगता हैं हंसना चाहूंगी तो
अबकि रो पडूंगी
अट्टहास करना चाहूंगी तब
खिलखिलाऊंगी ,
और जब जीना चाहूंगी
मर जाऊंगी।
-
अर्चना 


Saturday, May 29, 2021

शतायु की कामना

ये मेरे छोटे फूफाजी हैं।बुआ और फूफाजी की जब शादी हुई तो रितिरिवाज और रहनसहन ,भाषा सब कुछ अलग था दोनों काा

, फूफाजी महाराष्ट्र केऔर बुआ मध्यप्रदेश की ।
उस समय में जब लड़कियां बहुत कम पढ़ती थी हमारे समाज में ,बुआ ने एमएससी किया था।
शादी के बाद वे पूरी तरह से महाराष्ट्रीयन लगती थीं। भाषा भी मराठी ,और चंद्रपूर में भुसारी मैडम (टीचर)के नाम से उन्होंने अपनी पहचान बनाई।
समय बीता और दो बेटियों को इंजिनियर बनाया।
वही उनके बेटे भी हैं।
बुआ रिटायर हुई ,और डायबिटीज की गिरफ्त में आने पर हम उनके सानिध्य से वंचित हो गए।
बुआ की बड़ी बेटी को करीब 11 वर्ष पहले किडनी डोनेट की फूफाजी ने।
 आज वे और फूफाजी दोनों स्वस्थ हैं और फूफाजी अपना 80वा जन्मदिन मना रहे हैं।
यही बड़ी बेटी भावना है 


ईश्वर उन्हें शतायु करे।

Tuesday, May 25, 2021

अपनों के लिए



बिछुड़ना उदासी फ़ैला रहा है 
हम सबके बीच..
कोई हँसाओ तो ज़रा सबको ..

हँसती हुई तस्वीर देखो ..
ज़रा तुम भी ...
कैसे रंग भरती है जीवन में 

और ये देखो !!
इंद्र धनुषी रंग............
जाने का मन नहीं करता मेरा...

Wednesday, May 19, 2021

अनमना मन


अनमनी सी बैठी हूं,
चाहती हूं खूब खिलखिलाकर हंसना
कोशिश भी करती हूं हंसने की
पर आंखें बंद होने पर  वो चेहरे दिखते हैं
जिन्हें मेरे साथ खिलखिलाना चाहिए था
अपनी राह में साथ छोड़ बहुत आगे निकल गए वे
और मैं चाहकर भी हंस नहीं पा रही

चाहती हूं इस बारिश के बाद 
इंद्रधनुष को देखूं
पर आसमान में काले बादल ही छंट नहीं रहे
सातों रंग अलग न होकर सफेद ही सफेद शेष है
हर तरफ गड़गड़ाहट के बीच चीत्कार गूंजती है
बाहर से न भीग कर भी अंदर तक भीगा है मन
और मैं ताक रही अनमनी सी...

Wednesday, April 14, 2021

मेरा बच्चा और उसके बच्चे

यही पल ऐसे हैं जो लाते हैं चेहरे पर मुस्कान।

Monday, February 15, 2021

शुभकामनाएं निशी



ऐ! छुटकी बंजारन
रूहानी मौलिमणी!
या कहूँ-मौली दी
धड़कन रोक देती है
तेरी वात्सल्य भरी
अक्षरों में पगी पोटली
प्रेम,प्यार,दुलार
और तेरा मनुहार
सदा शरारत को 
छुपा लेता है तेरी
सच! कोई धैर्य रखे 
तो कितना? 
और विश्वास भी करे 
तो कैसे?
तेरा मंतव्य तो 
मंज़िल पाने का होता है
और हम भ्रम में 
"दीदी" का सहारा 
बनने की ख्वाहिश में 
हिमालय की चोटी से 
धरा पर आ गिरते हैं ....
जरूर तुझमें 
ॐ का तत्व छुपा है
माँ की दुआएं तेरे साथ है...

ग़म और विरह 
में जकड़ी मैंं ठूँठ -सी
संदेश समझ न पाई तेरा
आह!...

मनुष्यता की सफ़ल सलाया
तेरी जिजीविषा से 
खिल उठा मेरा भी
संतोषी गुलमोहर
अनुपम..

आप कहूँ या आत्मन!
मेरी दी ... छुटकी स्वच्छंद बंजारन .... 
जीयो जीयो .....खूब जीयो ...
- अर्चना (मासी)

(निशी के जन्मदिन पर उसे समर्पित )

Wednesday, February 3, 2021

चाय और हम

चाय घर पर 6 लोगों के लिए
1...मेरे लिए बिना शक्कर, आधा कप
2...मेरे लिए कम शक्कर ,ज्यादा दूध ,पूरा कप
3...मेरे लिए कम शक्कर,कम दूध,बड़े वाला कप
4...मेरे लिए शक्कर ज्यादा ,प्लेट के साथ कप
5...और 6 को जैसी और जितनी बार बनी किसी भी कप में चल जाती है हमेशा 😁

चाय घर से बाहर वही 6लोग
1...नहीं
2...नहीं
3...चलेगी
4...चलेगी आधा
5 और 6 हां चलेगी ...😁😁

Saturday, January 30, 2021

जॉइंट फेमिली

हम पांच भाई बहन 
हमारे परिवार ने साथ साथ कई कठिनाइयों को पार किया
परिवार ने हादसे भी झेले और पारिवारिक क्षति भी।
एक लंबा समय गुजारा दुःख के साथ ...
फिर भी सकारात्मकता की शिक्षा हमारा संबल बनी रही है।
समय समय पर परिवार बिना किसी त्यौहार या कार्यक्रम का इंतजार किए बिना एकजुट हो जाता है,फिर भी एक दो सदस्य किसी कारणवश छूट है जाते हैं,
किसी भी पारिवारिक सदस्य के अचानक बुलावे पर हर संभव इकट्ठा होने की कोशिश करते हैं ।
इस बार ये मौका फिर आया और परिवार के पांच सदस्य नहीं आ पाए।
कोरोना काल के बीच भी सब सावधानी रखते हुए हमने कोशिश की सबको इस डरावने माहौल से बाहर ले आने की 
फिर जल्दी मिलेंगे अच्छी यादें संजोने 
इस बार स्पेशल ड्रेस कोड भी रखा ।

Tuesday, January 19, 2021

शुभकामनाएं

शादी की नवीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं


आँखे बोलती है जब तो आवाज नहीं होती
सुनने वाला विरला ही कोई सुन पाता है ...

बुनी जाती हैं सबकी फ़ंदा दर फ़ंदा जिंदगी
पर जिस तरह आँखे बुनती है विरला ही कोई बुन पाता है...

संगीत की लय पर थिरक जाये आत्मा अपनी
ऐसी मधुरतम लय विरला ही कोई गुन पाता है...

और बेमतलब साथ अपने चल सके दूर तक कोई
ऐसा साथी जीवन में विरला ही कोई चुन पाता है ....

Monday, January 18, 2021

सफेद

सफ़ेद...
जब हो रही थी रंगों की बारिश 
मेरे ऊपर सफ़ेद रंग गिरा
तुम्हें पता है ?-
सफ़ेद रंग सारे रंगों से मिलकर 
उन्हें हल्का कर देता है!
जैसे क्रोध के साथ धैर्य
और घृणा के साथ प्रेम
सारे रंग समा जाते हैं- सफ़ेद में,
बिना किसी बहस के 
और इसलिए चमकता है
सिर्फ़ सफ़ेद, झक सफ़ेद...

- अर्चना

पा

शुभकामनाएं

शादी की नवीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं


कभी मेरे आँगन उतरते हो तुम
तो कभी तुम्हारे आँगन में मैं
चुगते हैं दाना
चहचहाते हैं खुशी से...

कभी मेरे संग खिलते हो तुम
तो कभी तुम्हारे संग में मैं
महकाते हैं चमन
खो जाते हैं एक -दूजे में...

मैं जो साथ न पाउँ तुम्हारा
या कभी तुम न पाओ मेरा
तो हमेशा अधूरे रहोगे तुम
और तुम्हारे बिना मैं...

आँख से जब मैं कहूँ
दिल से तुम्हें सुनना होगा
एहसासों के तागों से
प्रेम का डोरी बुनना होगा...
- अर्चना 

Friday, January 1, 2021

नया साल नया संकल्प ,साल की पहली ब्लॉग पोस्ट

जाते हुए साल में सबने खूब चेलेंज झेले और दिए ,
हमने एक भी एक्सेप्ट नहीं किया लेकिन नए साल के लिए बाल न रंगने का चेलेंज दे रहे। (टैग नहीं करुंगी किसी को )😀
देखें कोई कितना हिम्मती है ....वैसे भी साठवां साल सठियाने का होता है ,तो अपना शुरू है 😀😀

हुआ यूं कि परेशानियां इस कदर हावी हुई कि खुद की देखभाल का समय न मिला, आनन- फानन में जिम्मेदारियां बढ़ती चली गई,,स्कूल के जॉब के समय बाल बड़ी तेजी से सफेद होने लगे, सहकर्मियों के सुझाव को मानकर कलर करना शुरू कर दिया ,पहले मेंहदी,आंवला,शिकाकाई सारे घरेलू उपचार व्यर्थ हुए, आखिर गार्नियर पर टिक गई,दूसरे ब्रांड भी अपनाए बाद में। 

अब ये परेशानी हुई कि हर बार रंगने पड़ते ,इधर उम्र घटती जा रही थी 😀बालों की सफेदी बढ़ती जा रही थी।थक गई मैं लगने लगा आखिर कब तक ऐसा चलेगा न रंगों तो लोग टोकने लगते😀।कोरोना काल ने वो टोका टाकी बन्द करवा दी 😀 अब सबके  सिर पर तलवार लटकी हुई है😀

तो मैंने तय किया कि अब बस!!!

नया साल नए संकल्पों के साथ शुरू करें ।

आप सबको नया साल शुभ हो, सबको शुभकामनाएं।सब अपने परिवार के साथ स्वस्थ व सुखी रहें।

जितना प्रकृति के साथ उसकी गोद में रहेंगे उतना ज्यादा सहनशील बनेंगे।
जो मन कहे वही करें,आपका मन साफ है, उसे सेनिटाइजर की जरूरत नहीं।

सेल्फी मास्टर