Monday, June 27, 2011

"Rooh - music from soul"...एक नया बेंड...

कमाल है !!!

                                                                (बैठे हुए बीच में - दिलेश्वर)
ये बच्चे भी कमाल कर देते है ...दिलेश्वर मेरे स्कूल मे  कल तक एक शैतान बच्चा था ....और आज....

बाकी साथियों से मिल सकते हैं यहाँ---

आपकी शुभकामनाएं दें , बेहतर भविष्य के लिए...


Thursday, June 23, 2011

जीवन धारा...

 जिंदगी का सफ़र ...


जब दर्द नही था सीने में...


 ओ माझी रे...


नदिया चले चले रे धारा....


 दूर है किनारा ...


जीवन चलने का नाम...



Saturday, June 18, 2011

दोस्ती...

दोनो बाल-मंदिर में पढ़ने आये थे।
माता-पिता पहली बार स्कूल छोड़ने आये थे,नई जगह नया लालच देकर लाए थे शायद।शुरू में तो सिर्फ़ एक-दूसरे को देखते रहे।

दूसरे दिन से स्कूल आना शुरू किया,पास बैठते,साथ टिफ़िन खाते अपनी चीजें खाना,खिलौना सब बांटते।
धीरे-धीरे दोस्ती ने जगह बनाई,और जब एक स्कूल नहीं आता तो दूसरा कुछ नहीं करता , उसका मन न लगता किसी काम में, न पढ़ना,न खेलना.न टिफ़िन खोलना बस अपनी टीचर के बाजू में बैठे रहना...और दरवाजे की ओर ताकते रहना।
.

................निष्कपट दोस्ती ।


साथ-साथ खेलते।एक ही आदत चुप रहने की,बस किसी की मुर्खतापूर्ण बात या मजाक पर आपस मे देखकर मुस्करा देते,जैसे जान गए हों मन की बात ।
क्लास अलग-अलग मगर खेलने का मैदान एक ,यहां भी वही हाल एक्न आए तो दूसरे का मन न लगे, और दोनों रहने पर भले बात न करे,खेले अलग-अलग टीम से पर भरोसा की चिटींग नहीं करेंगे,एक विश्वास की सपोर्ट जरूर मिलेगा दूसरे का ...

 .................निस्वार्थ दोस्ती।

अब एक -दूसरे की नजरों के भाव पढ़ना सीख गए ,पस-पास घर ..एक दूसरे के कार्य-कलापों पर दूर से नजर,
 देर तक इन्तजार एक नजर देख लेने का...
पहचानी -सी आहट आने पर...एक का खिड़की की झिर्री से झांकना / गैलरी मे आना और दूसरे का उस झिर्री से आती रोशनी को देखना / चाहे कितना भी अंधेरा हो, चेहरा भी  नजर न आए....बस गर्दन घुमाने की आदत ...और आंखों का उपर उठना.....

सोने से पहले आखरी बार एक झलक देख लेने का इन्तजार .....
दिन की शुरूआत सामान्य, कभी-कभी पूरा दिन सामान्य....बस शाम का इन्तजार....
सब मन के भीतर---बातें मुलाकातें....


...............रोमांचक दोस्ती......।.

दोनों अलग-अलग अपने-अपने घरों मे ..............न साथ ,न बात, न मुलाकात न ही कोई इन्तजार..
सुखद,खुशहाल जिंदगी..............

..............समर्पित दोस्ती.......।


और अब अपने काम/जिम्मेदारी पूरी करते -करते जीवन का अधिकतम पड़ाव खतम करने के बाद ....
फ़िर वही दोस्ती.....कहीं किताबें,कहीं लेखन,कहीं पठन ,कहीं संवाद.........फ़िर से वही ....

................भावनात्मक दोस्ती ............।

एक गीत ..इस दोस्ती के भी नाम

Thursday, June 16, 2011

इसे कहते है ब्लॉग्गिंग ...

कुछ दिनों पूर्व एक गीत सुनवाया था आपको,--गेट वेल सून 

और उसके बाद मौके को भुनाया था -- जिन खोजा तिन पाईयां 

इस बीच एक रचना पढ़ी प्रवीन पाण्डेय जी के ब्लॉग पर ये रचना

तबियत ठीक नहीं थी  (मेरी और कंप्यूटर दोनों की ) 

अब इसका पॉडकास्ट बना नहीं पा रही थी ...ध्यान आया 'गेट वेल सून' वाला गिफ्ट..............ये ब्लॉग्गिंग किस काम की ....
..........सही पहचाना था समीर जी ने ...

और बस ये होमवर्क दिया पद्मसिंह जी को ....   ----काश तुम्हे होता ये ज्ञात  



प्रवीन जी का शुक्रिया जो पॉडकास्ट यहाँ लगाने का अधिकार दिया मुझे ..


जी हां  पाती वाली रचना और वो आवाज थी पद्मसिंह जी की...

इनकी एक रचना यहाँ भी सुन सकते है ----इनके ब्लॉग 'ढिबरी 'पर 

अब आप ये बताइए की इनकी आवाज में और गीत सुनना चाहेंगे या नहीं ?.....

Sunday, June 12, 2011

मै और वो --- मेरा हमदम- मेरा दोस्त .........

मै और वो दोनों एक दुसरे को निहारते रहते थे ,साथ खाते थे,साथ सोते थे,साथ उठते थे,यहाँ तक कि सब-कुछ शेअर करने लगे थे|

अचानक मै बीमार पड़ गई ....पर ये क्या??? जानकर हैरान हो गई कि वो भी बीमार हो गया है ,बस फिर क्या था ...रात-दिन एक-दुसरे का हाल-चाल पता करते रहते

अब मेरे बिना वो और उसके बिना मै ...दोनों बैचैन रहते

कल से वो घर पर नहीं है ...मेरा मन नहीं लग रहा...

लगता है कुछ ज्यादा ही बीमार हो गया ...
पता नहीं क्या होने वाला है ....अब या तो वो रह पायेगा या मै .....
पर उसके बिना मेरा रहना थोडा मुश्किल होगा ........

बस इंतज़ार है उसका ....देखू क्या जबाब आता है .....

कल-कल करते -करते एक महिना तो हो ही चुका है.............
अब आज फिर कल कहा है ...................

आप भी प्रार्थना करो कि वो जल्दी वापस लौटे ..............

वर्ना मेरा ब्लॉग से और ब्लोगर साथियों से दूर का रिश्ता भी जाता रहेगा ..............



हां ................उसी पर तो पोस्ट बनाई है ..........मै और वो .........मेरा कम्प्यूटर ..................हा हा हा .....

Saturday, June 11, 2011

कुछ नया नहीं तो पुराना ही सही ....

15/01/2009 को पोस्ट किया था आज फिर वही

क्या मै लिखती हूँ  ?????????

एक दिन  अचानक पता चला की मै लिखने लगी
थोड़ा-बहुत नही ढेर सारा उगलने लगी ,
कहाँ से मुझको लिखना  आया ?,
साहित्य  का ज्ञान  कहाँ से पाया ?,
बहुत सोचा मगर समझ में नही आया !
फिर  लगा साहित्य  है?,या कुछ और ?
पर कुछ और होगा तो क्या ?????????????????
फिर  भी कुछ हाथ नही लगा ,
बहुत सर खपाया ,
और इसी उधेड़बुन में अपना पेन उठाया ,कागज पर रखा 
अरे ये क्या ?वो चलने लगा ,
पता नही कैसे ?
रुकने का नाम ही नही ले रहा था ,
और तभी दिमाग की घंटी बजी !!!!!!!!!!
ऐसा ही कुछ हुआ होगा ,
दिमाग  में ही कोई कीडा कुलबुलाया होगा ,
जाने कब से दबा हुआ था पेन ,
कागज देखते ही बाहर निकलने को छटपटाया होगा ,
पेन कागज पर गिरा होगा ,
और कागज स्याही से भर गया होगा ,
पढ़े -लिखे  लोगो ने समझा होगा ,
और समझदारों ने ही कहा होगा --------------
मै लिखने  लगी ,थोड़ा बहुत नही ढेर सारा उगलने लगी !!!!!!!!!!!!!!

Wednesday, June 1, 2011

जिन खोजा तिन पाईयां ............

कल जिस आवाज को आपने सुना उनके और उस गीत  के रचनाकार के बारे में बताने वाली थी आज ...
फिर सोचा मौके को भुना लू ...क्या पता उन्हें सुनने के बाद कोई ये सुनना भी पसंद करे या नहीं .....तो आज सुनिए वही गीत मेरी आवाज में ( एडिट उन्ही ने करके दिया है ).....



और हां ----कल की पोस्ट की टिप्पणियों से ज्ञात हुआ की पद्मसिंह जी और अनुराग शर्मा जी ....भी गाते है तो अब पॉडकास्ट की उनकी बारी रहेगी वे तैयार रहे ............हा हा हा ..........