Sunday, January 19, 2014

सुनो एक कहानी .......

मुझे लिखना आता
तो लिखती अपनी कहानी
सुनाती जिसको
कभी बच्चों की नानी-

एक था राजा
एक थी रानी
जीवन में उनके
अनेकों किस्से-कहानी
उनके थे
दो प्यारे बच्चे
मन के सुन्दर और
बातों के सच्चे
एक दिन अचानक
एक तूफान आया
जिसने घेर कर
राजा को फंसाया
रानी आगे आ अड़ी
तूफान से लड़ी
तूफान था दुष्ट
रानी को दे गया कष्ट
रानी ने हार न मानी
सबक तूफान को चखाने की ठानी
बच्चों को पढाया
जीवन के पथ पर आगे बढाया
अन्दर से उनको
मजबूत बनाया
तूफ़ान उन्हें देख
खूब घबराया
अब बच्चे
हमेशा मुस्कुराते है.
और तूफान तो क्या
उसके फ़रिश्ते भी
बच्चों को सामने देख
कोसों दूर भागते हैं ..........

तुम भी बच्चों 
तन से नही
मन से मजबूत बनना
और आने वाले अनजान
तूफानों से लड़कर
हमेशा जीतना
और जीवन पथ पर
आगे-और आगे बढ़ना............

5 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (20-01-2014) को चर्चा कथा में चर्चाकथा "अद्भुत आनन्दमयी बेला" (चर्चा मंच अंक-1498) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Smart Indian said...

अप्रतिम साहस की है ये कहानी - हार्दिक शुभकामनायें!

प्रवीण पाण्डेय said...

बच्चे निश्चय ही अनुकरण करेंगे, माँ के समान दृढ़ बनेंगे।

Anju (Anu) Chaudhary said...

ज्ञानवर्धक गीत

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

Story of bravery against all adversity!!