Monday, January 15, 2018

अक्षरबद्ध कविताएं -क्षणिक सी

"भ्रमिका"
भ्रम हुआ मुझे
मिल गई जिंदगी!
काश!तुम होते....

"व्यामोह"
व्याधियों से मुक्त हों
मोह बंधन से छूटे
हम सब !

"भंवरजाल"
भंग हुई शांति
वतन की मेरे...
रक्त बहा तुम्हारा
जान गई मेरी ...
लग गई नज़र जाने किसकी?

"भूलभूलैया"
भूल न पाई मैं तुझको
लगा लिया ये कैसा रोग
भुलना होता अगर आसान
लैला-मजनूँ ,हीर-राँझा की
यारियों के किस्से न कहे जाते....
-अर्चना

3 comments:

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 70वां भारतीय सेना दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

दिगम्बर नासवा said...

भूलना प्रेम में सम्भव सच में नहीं

Onkar said...

बहुत सुन्दर