Friday, February 12, 2010

गंगा तेरा पानी अमृत .................झर-झर बहता जाए ...........

भूपेन हजारिका जी द्वारा गाया गया एक बहुत पुराना गीत ........................समाचारों में कुम्भ की खबरे सुनते-सुनते याद आ गया ....................बहुत पहले मैंने अपनी आवाज में रिकोर्ड किया था आज वही आप सबके लिए शायद बहुत लोगो ने सुना नहीं होगा ........................... ...............
 

 सुनिए--

6 comments:

Udan Tashtari said...

ओ गंगा बहती हो क्यूँ...

हमने भूपेन हजारिका की आवाज में यह गीत नहीं सुना किन्तु आपकी आवाज में सुनना प्रभावित कर गया. बहुत ही अच्छा गाया है. बधाई.

Mithilesh dubey said...

महाशिवरात्रि की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ

Anonymous said...

धन्यवाद् - महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई

aarya said...

सादर वन्दे
सुन्दर, महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं
रत्नेश त्रिपाठी

राज भाटिय़ा said...

भूपेन हजारिका की आवाज यह गीत बहुत सुंदर लगा, बाकी अब आप की टांग का क्या हाल है,अब तो आराम आ गया होगा,
महाशिवरात्रि की बहुत बधाई

दिगम्बर नासवा said...

विस्तार है आपार .. सचमुच गंगा का विस्तार और आपकी आवाज़ का विस्तार भी अपार है ....