Sunday, August 29, 2010

ऐ मेरे दोस्त ..............

आज ये कविता दोस्त को समर्पित ...
...
ऐ मेरे दोस्त ,क्यों होते निराश हो,


मेरे लिए तो तुम सबसे खास हो,


जगाओ अपनी आशा को,


और हटाओ निराशा को,


जियो--कि सब ऐसे ही जीते है,


हंसी के गिलास में गम पीते है,


जिंदगी से लड़ने वाले तुम अकेले नहीं हो,


खुशी मनाओ कि भीड़ में खड़े हो,


ठोकर जो लग गई --


तो चलना सीख जाओगे ,


और सांस जो रुक गई--


तो जीना सीख जाओगे .....

12 comments:

राजीव तनेजा said...

सीख देती सुन्दर रचना ...

प्रवीण पाण्डेय said...

जीना इसी का नाम है।

Mithilesh dubey said...

क्या बात है , लाजवाब और बेहतरिन रचना लगी ।

राज भाटिय़ा said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

संजय कुमार चौरसिया said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया!
समय पर एक ही ठोकर
बदल देती है जीवन को...!

nilesh mathur said...

बहुत सुन्दर !

आपका अख्तर खान अकेला said...

aek bebs or haare hue insaan ko himmt or jine ki klaa sikhaane kaa achchaa triqaa he khuda ise aamyaab kre or niraashaavaaadiyon ko aashaavaadi bnaa de. akhtar khan akela kota rajsthan

Satish Saxena said...

ये अच्छी अभिव्यक्ति लगी !शुभकामनायें

mai... ratnakar said...

kaash!!! aap sa dost har kisee ko mile

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति.

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति.