आज ये कविता दोस्त को समर्पित ...
...
ऐ मेरे दोस्त ,क्यों होते निराश हो,
मेरे लिए तो तुम सबसे खास हो,
जगाओ अपनी आशा को,
और हटाओ निराशा को,
जियो--कि सब ऐसे ही जीते है,
हंसी के गिलास में गम पीते है,
जिंदगी से लड़ने वाले तुम अकेले नहीं हो,
खुशी मनाओ कि भीड़ में खड़े हो,
ठोकर जो लग गई --
तो चलना सीख जाओगे ,
और सांस जो रुक गई--
तो जीना सीख जाओगे .....
12 comments:
सीख देती सुन्दर रचना ...
जीना इसी का नाम है।
क्या बात है , लाजवाब और बेहतरिन रचना लगी ।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बहुत बढ़िया!
समय पर एक ही ठोकर
बदल देती है जीवन को...!
बहुत सुन्दर !
aek bebs or haare hue insaan ko himmt or jine ki klaa sikhaane kaa achchaa triqaa he khuda ise aamyaab kre or niraashaavaaadiyon ko aashaavaadi bnaa de. akhtar khan akela kota rajsthan
ये अच्छी अभिव्यक्ति लगी !शुभकामनायें
kaash!!! aap sa dost har kisee ko mile
बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति.
बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति.
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