आगे बढ़ते रहो कि "जहां" तुम्हारा है ,
रत्न गढ़ते रहो कि "जहां" तुम्हारा है,
तन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
कि हर कोई तुमसे पूछे -- " "जहां" तुम्हारा है" ?
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रत्न गढ़ते रहो कि "जहां" तुम्हारा है,
तन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
कि हर कोई तुमसे पूछे -- " "जहां" तुम्हारा है" ?
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9 comments:
bahut achchi baat kahi aapne
तन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
कि हर कोई तुमसे पूछे -- " "जहां" तुम्हारा है" ?
......ला-जवाब" जबर्दस्त!!
बहुत खूब, दमदार।
तन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
कि हर कोई तुमसे पूछे -- " "जहां" तुम्हारा है" ?
बहुत सुन्दर....
nice and meaningful lines.
सार्थक रचना !
अति सुंदर जी धन्यवाद
कहा है ????????????????
हमारा सवाल - ’कहाँ’ हमारा है?
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