Monday, June 18, 2012

ह्म्म्म...

यादों के मौसम की गुनगुनी धूप के बीच
तसवीर हाथ में ले
मेरा हौले से पुकारना
ह्म्म्म.. कह कर तुम्हारा आना
और मेरी बन्द पलकों की नमीं में ही छुप जाना
धीमे से मुस्कुराना
मुझसे मिलना,और
मुझे तनहा छोड़
चुपके से गुम हो जाना
रोज़ मिलकर बिछड़ जाना
अच्छी आदत नहीं........

-अर्चना

8 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कोमल स्मृतियों की सिहरन..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हम्म .... कोमल भाव

केवल राम said...

मेरी बन्द पलकों की नमीं में ही छुप जाना

समृतियाँ , प्रेम और कोमलता का अनुपम संगम ...!

Shilpa Mehta : शिल्पा मेहता said...

hhmmmm...

संजय भास्‍कर said...

कोमल भाव...आपका प्रयास सार्थक रहा..!!

बाल भवन जबलपुर said...

ह्म्म्म.........

दिगम्बर नासवा said...

कोमल भाव ... शरारत लिए ... खूबसूरत भाव ...

Ramakant Singh said...

मुझे तनहा छोड़
चुपके से गम हो जाना
रोज मिलकर बिछड़ जाना
अच्छी आदत नहीं

भाव भीनी बातें