Saturday, November 3, 2012

शुभ - दीपावली



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.रीवा से वापस लौटते समय किसी स्टेशन के आऊटर पर रूकी ट्रेन ...और  दिवाली के स्वागत में सजा ये घर देखा.....बच्चे अपनी पूरी मस्ती में ....एक ओर जहाँ बाजू के घर में भैया मोबाईल में व्यस्त हैं,वहीं पडोस की आँटी जी शाम का खाना बनाने  की तैयारी में व्यस्त ...हर कोई अपना-अपना काम कर रहा है ...(मैं भी ...)....और जब ट्रेन चल पड़ी तो ..टाटा करना नहीं भूली छुटकी गुड़िया.....

24 comments:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

और तुम हमेशा अकेलेपन और उदासी की बात कराई हो.. सारी दुनिया और दुनिया के अनजाने लोग तुम्हारे जाने-पहचाने बन जाते हैं.. जैसे ये छुटकी.. तुम्हें बाय कहती हुयी!! :)

शिवम् मिश्रा said...

केवल आंखो के होने से कुछ नहीं होता ज़िन्दगी को देखना आना चाहिए ... :)

पृथ्वीराज कपूर - आवाज अलग, अंदाज अलग... - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

travel ufo said...

अच्छी दीपावली दिखाई आपने

Akash Mishra said...

personally मुझे बचपन पर लिखना बहुत पसंद है , आपने एक और टॉपिक दे दिया , कोशिश करूँगा |
मुझे अपना एक वाकया याद आ रहा है , मैं ट्रेन से घर जा रहा था , रास्ते में एक बच्ची उस ट्रेन को टाटा कर रही थी | जब मेरा कोच उसके सामने से गुजरा तो मैंने देखा कि उसकी नाक बह रही थी और वो रो रही थी |
आज भी समझ नहीं आया कि वो रोते हुए टाटा क्यूँ कर रही थी ?

सादर

एक बेहद साधारण पाठक said...

बहुत बहुत सुन्दर पोस्ट !

ANULATA RAJ NAIR said...


एक भागती ज़िन्दगी ट्रेन में..
एक ठहरी सी, उस लड़की की......


अनु

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप तो चित्रों में सपने क़ैद कर लायीँ।

संजय भास्‍कर said...

चित्रों को बहुत सुन्दर कैद किया है

संगीता पुरी said...

सबके लिए हो शुभ दीपावली ..
इसी कामना के साथ

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत सुन्दर तस्वीरे..
:-)

Ramakant Singh said...

ज़रूरी नहीं कुछ लिख ही डालें चित्र और आँखें भी बयान कर जाती हैं अनकही बातें मैं अक्सर सोचता हूँ की तुम्हारी पैनी निगाह जीवन के हर पहलू को कैसे चित्रित कर जाती है शायद ज़िन्दगी ने खुद ब खुद सिखला दिया जीना और तहजीब जीने का .....

प्रवीण पाण्डेय said...

गोबर चूने से सजा प्यारा सा घर।

देवेन्द्र पाण्डेय said...
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देवेन्द्र पाण्डेय said...

वाह! इन चित्रों को देखकर यह एहसास होता है कि दिवाली दीपों से ही नहीं मनाई जाती। मन, घर, सब उजला करना पड़ता है।

Smart Indian said...

जीवन के इस अद्भुत सौंदर्य से परिचय कराने के लिए आपका आभार! घर की सज्जा से गृहणी का सलीका छलक रहा है| नन्ही गुडिया और उसके भैयों की खुशी स्वाभाविक है| शुभकामनाएं!

बाल भवन जबलपुर said...

anupam

Rahul Singh said...

न्‍यारा बंगला भी कुछ नहीं इसके सामने.

सदा said...

बेहतरीन

Kailash Sharma said...

बहुत प्यारे घर...बहुत सुन्दर..

Himanshu Pandey said...

देवेन्द्र जी की टिप्पणी से पूरा इत्तेफाक!
इस उत्साह के आगे सब कुछ फीका! दीवाली तो यूँ ही मने!
आभार।

rashmi ravija said...
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rashmi ravija said...

बेहद ख़ूबसूरत तस्वीरें....असली दिवाली तो यही है...आप यूँ ही अपनी सजग आँखें और कैमरा तैयार रखें, बोलते चित्र से रूबरू करवाती रहें

Dr ajay yadav said...

दिवाली की ये तस्वीरे बड़ी मायने रखती हैं ....बहुत कुछ कहती हैं |मेरे दिल के बड़े करीब की हैं |
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
(¯*•๑۩۞۩:♥♥ | दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें || ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
बे लौस मोहब्बत हो , बेबाक सदाकत हो ;
सीनों में उजाला कर , दिल सूरते-मीना दे
Let love be selfless & truth fearless;
Let our breasts be lighted ‐Make our hearts clear- crystal.[-इकबाल ]सादर आभार

nayee dunia said...

bahut sundar