Wednesday, March 27, 2013

नए अंदाज

मौन में हुंकार भरते, यही मेरे आगाज हैं
मुआफ कर दें वो सभी, जो हुए नाराज हैं
रंग भरती थीं खुशी से, जिन्दगी में जो मेरी
तितलियाँ वो आज देखो फूल की मोहताज हैं
धड़कनों को तुम मेरी न छीनना मुझसे कभी
गीत मेरे बज सकें उसका वो ही एक साज हैं
एक जुगनू था दिखाता मंजिलें मुझको कभी
उसके खोने के, सुना, अपने अलग से राज हैं
सुन के झूमें ये धरा और  झूम उठे वो गगन
धुन सजाने के यहाँ, उसके नये अंदाज हैं...
-अर्चना

9 comments:

Rajendra kumar said...

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

संजय @ मो सम कौन... said...

नये अंदाज, बदले अंदाज। बहुत खूब।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

Happy holy devi

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बेहतरीन,आपको होली की हार्दिक शुभकामनाए,,,
Recent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,

देवेन्द्र पाण्डेय said...

बहुत खूब..

Ramakant Singh said...

एक जुगनू था दिखाता मंजिलें मुझको कभी
उसके खोने के, सुना, अपने अलग से राज हैं
सुन के झूमें ये धरा और झूम उठे वो गगन
धुन सजाने के यहाँ, उसके नये अंदाज हैं...

बहुत खुबसूरत अंदाज़ रूठे हुए को मनाने का बड़ाई करूँ या दे दूँ बधाई . चलो बहन को दोनों ही देते हैं।

दिगम्बर नासवा said...

धड़कनों को तुम मेरी न छीनना मुझसे कभी
गीत मेरे बज सकें उसका वो ही एक साज हैं ..

बहुत खूब ... मज़ा आ गया ...
होली की शुभकामनायें ...

प्रवीण पाण्डेय said...

सब सुखमय हो, होली की शुभकामनायें।

Jyoti khare said...


जीवन से संवाद करती कविता,और सोचने
को विवश करती है---- सुंदर रचना
बधाई


आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों ख़ुशी होगी