Friday, March 8, 2013

जीवन के इंद्र धनुषी रंग...

महिला दिवस पर विशेष :-

 जीवन में,
सुखों और दुखों
के बीच
बिताए सुहाने पलों की खुमारी
वाईन की खुमारी से बेहतर है,
ऐसा नशा - कि
होश ही नहीं रहता ...
कभी देखें हैं तुमने
जीवन के इंद्र धनुषी रंग...
इनसे बिछड़ कर जीने का
मन नहीं होता कभी..
सारी रंगीन तसवीरें ..
साफ़ जो होती है ..
आईने की तरह....
चमकती है --
धूप की तरह...
..........
-अर्चना





5 comments:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

जीवन के बीते पलो की खुमारी याद आ जाने पर और चढ़ जाती है,,,

Recent post: रंग गुलाल है यारो,

प्रवीण पाण्डेय said...

सच है, संबंधों की शक्ति यही है।

Rajendra kumar said...

बहुत ही बेहतरीन एवं सार्थक प्रस्तुति.

Ramakant Singh said...

खुबसूरत ही नहीं बहुत बेहतरीन पुरानी जमीं में दबी हमारे पुरखों की बने रिश्तों की शराब को नए यादगार चमकते शीशे के बोतल में छलकते तक भर दिया . वाह नशा छा गया