Wednesday, February 19, 2014

मेरे मन की (१) - "जिन्दगी"

नमस्कार, कोशिश की है- कुछ नया करने और जीवन में मधुरता घोलने की..... 
सुनियेगा और कैसा लगा बताईयेगा...
 

1)
ज़िन्दगी एक सहेली जो कभी कभी पहेली बन जाती है/ सताती है.. 
जीना दूभर कर देती है फिर भी भाती है/
हर पल जीने का नित नया पाठ पढ़ाती है/ 
ज़िन्दगी के पीछे मैं और मेरे पीछे मौत भागती है/ 
 -मीनाक्षी
गीत- ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय ...
फ़िल्म: आनन्द/ आवाज- मन्नाडे /संगीत:सलिल चौधरी


2)
चलो, कुछ दूर साथ चलें, बैठें, बतियायें, हँसें और जी लें....
जिन्दगी नाम फक’त चंद सांसों का आना जाना तो नहीं...
-समीर लाल ’समीर’
गीत- जिन्दगी जब भी तेरी बज्म में लाती है हमें ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें सूर्ख फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें दिन ढले यूँ तेरी आवाज़ बुलाती है हमें ..  
फ़िल्म:उमराव जान/गीतकार:शहरयार/आवाज:तलत अजीज/ संगीत: खय्याम
३)
बच रहा था आप सबसे कल तलक सहमा हुआ
अब बड़ा महफूज़ हूँ मैं कब्र में आने के बाद

मौत का अब डर भी यारों हो गया काफूर है
ज़िंदगी की बात ही क्या ज़िंदगी जाने के बाद
-अनुराग.
गीत का मुखडा:
ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें, ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें
(फिल्म: उमराव जान - संगीत खय्याम)

                                                        
४)
"जिन्दगी" भर हमें बस रुलाते  रहे
वो न आये कभी हम बुलाते रहे.
आँसुओं से लिखी है मेरी दास्ताँ
लोग सुनते रहे हम सुनाते रहे.

-गिरीश पंकज 
मेरी पसंद की  लाइन है... ''मै ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया''

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अगले प्रोग्राम के लिए शब्द है - "पल"
कमेंट में अपनी पंक्तियाँ (सिर्फ़ दो या चार) लिखें व साथ ही लिखें अपनी पसन्द के गीत का मुखड़ा और फ़िल्म का नाम...

16 comments:

Girish Kumar Billore said...

पल पल दिल के पास

Girish Kumar Billore said...

पल भर खामोश निहारती तुम
मन पर जमी हर गर्द बुहारती तुम
एक साफ़ सुथरा सा प्रीत का दुशाला
डालती मुझ पर
फिर हौले से पुकारती तुम
सो गए क्या?
तब एकाएक जाग जाता हूँ
पर तुम्हारे एहसास से

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

पल झपकते ही पलक
देखो गुज़र जाते हैं कैसे
रोकना मुमकिन नहीं इनको
किसी नदिया के जैसे
क्यूँ बड़ी खुशियों की ख़ातिर
हम करें क़ुर्बान पल को
आओ इसमें जी लें पूरा
बस ये अंतिम पल हों जैसे!
/
और मेरा पसन्दीदा गीत...
आगे भी जाने न तू,
पीछे भी जाने न तू,
जो भी है बस यही इक पल है!
.
गीतकार: साहिर लुधियानवी संगीत: रवि
गायिका: आशा भोंसले, फ़िल्म: वक़्त

प्रवीण पाण्डेय said...

वाह, बहुत ही सुन्दर आये।

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर सुन्दर प्रस्तुति...!

Udan Tashtari said...

अच्छा मनभावन प्रयोग...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

अनूठा,बहुत सुंदर प्रयोग ...!

RECENT POST - आँसुओं की कीमत.

Shaifali said...

"pyar ke pal" by KK

Onkar said...

बहुत खूबसूरत प्रयोग

kavita verma said...

main pal do pal ka shayr hoo pal do pal meri ..

Girish Kumar Billore said...

पल पल दिल के पास
तुम रहती हो

देवेन्द्र पाण्डेय said...

आप भी कमाल धमाल करती रहती हैं। अच्छी लगी पोस्ट।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

मेरी पसंद...


पल भर जो उधर मुँह फेरे
ओ चंदा...
मैं तुमसे प्यार कर लुंगा
बातें हजार कर लुंगा।

.......

मैं पल दो पल का किस्सा हूँ
पल दो पल मेरी जवानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी कहानी है।

..फिलिम आप ढूँढ लीजिए।

Ankur Jain said...

बच रहा था आप सबसे कल तलक सहमा हुआ
अब बड़ा महफूज़ हूँ मैं कब्र में आने के बाद

मौत का अब डर भी यारों हो गया काफूर है
ज़िंदगी की बात ही क्या ज़िंदगी जाने के बाद

शानदार पंक्तियाँ..गहरे दर्द की अनुभूति प्रस्तुत करती हुई।।।

राजीव तनेजा said...

बीवी मेरी चिल्लाती मुझ पर...........................हर पल
बुड्ढा मिला..सब्र करती..जो पता होता..ऐसा होगा मेरा कल

गीत: मैं का करूँ राम..मुझे बुड्ढा मिल गया

ARUN RUHELA said...

बहुत सुन्दर प्रोग्राम ! बधाई व् शुभकामनाएं !