न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे,
न ही किसी कविता के,
और न किसी कहानी या लेख को मै जानती,
बस जब भी और जो भी दिल मे आता है,
लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Monday, September 22, 2014
जीवन-मृत्यु
जीवन -मृत्यु
किसी अपने के
सदा के लिए चले जाने पर
वक्त ठहर जाता है
पर ....
ठहरना वक्त का
कभी अच्छा नहीं होता
खो जाता है इसमें
एक नन्हा सा बचपन
बचा लो उसे
अनचाहे दर्द से
कि साँसों का चलना ही तो
जिन्दगी नहीं ......
3 comments:
अच्छी कविता
सुन्दर प्रस्तुति स्वयं शून्य
दिल को छूते लाज़वाब अहसास...बहुत सुन्दर
Post a Comment