बिखरने लगे हैं फूल भी अब पत्तों के साथ
एक ख्वाहिश होती है जीने की सबकी अपनों साथ ....
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अब रंगे चेहरों को देख दिल भर गया है बहुत
कोई साफ़ चेहरा हो तो देखने का मन भी करे ...
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- परखने को तो बहुत है परखने वाले
अपना ही मन पत्थर हुआ तो कोई क्या करे ...
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संघर्ष करते रहना ही जिन्दगी है
गम को दिल में छुपा कर हँसना ही बन्दगी है
अपना आकाश होगा, तो अपनी जमीं भी होगी
जिसमें अपने हिस्से की थोड़ी सी नमीं भी होगी...
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सागर की लहरे भी थक गई होंगी उछल-उछल
पर अब भी जाने क्यूँ है अन्दर गहरी हलचल
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गुबार हो या बारिश सब कुछ धुंधला जाता है,
गुजरते वक्त के साथ सब कुछ गुजर ही जाता है ..
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ढँक देने से दुख कम तो नहीं होते
पर खुशी बाँट देने से ही बढ़ती है ...
-अर्चना चावजी
एक ख्वाहिश होती है जीने की सबकी अपनों साथ ....
अब रंगे चेहरों को देख दिल भर गया है बहुत
कोई साफ़ चेहरा हो तो देखने का मन भी करे ...
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अपना ही मन पत्थर हुआ तो कोई क्या करे ...
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संघर्ष करते रहना ही जिन्दगी है
गम को दिल में छुपा कर हँसना ही बन्दगी है
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जिसमें अपने हिस्से की थोड़ी सी नमीं भी होगी...
पर अब भी जाने क्यूँ है अन्दर गहरी हलचल
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गुबार हो या बारिश सब कुछ धुंधला जाता है,
गुजरते वक्त के साथ सब कुछ गुजर ही जाता है ..
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ढँक देने से दुख कम तो नहीं होते
पर खुशी बाँट देने से ही बढ़ती है ...
-अर्चना चावजी
5 comments:
Bahut khub
बहुत सुन्दर
bahut sunder
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वाह! बहुत सुन्दर।
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