1)
समय तुम बलवान
पर बल का मत करो गुमान
.
.
.
उसके घर देर है अंधेर नहीं........
---------------------------------
2)
वक्त आता है दबे पाँव
चला जाता है दबे पाँव
.
.
.
हमें धप्पा-धप्पी नहीं खेलनी .....फुट!!!!!!!
----------------------------------
3)
हवा ,पानी और आग
धुआँ ,जलन और राख़
समय -समय की है बात !.........
-----------------------------------
-अर्चना
6 comments:
सुन्दर पंक्तियाँ
बहुत खूब ... एक अलग अंदाज़ बात का ...
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (04-04-2016) को "कंगाल होता जनतंत्र" (चर्चा अंक-2302) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
So nice .
Looking to publish Online Books, in Ebook and paperback version, publish book with best
Print on Demand India
अब RS 50,000/महीना कमायें
Work on FB & WhatsApp only ⏰ Work only 30 Minutes in a day
आइये Digital India से जुड़िये..... और घर बैठे लाखों कमाये....... और दूसरे को भी कमाने का मौका दीजिए... कोई इनवेस्टमेन्ट नहीं है...... आईये बेरोजगारी को भारत से उखाड़ फैंकने मे हमारी मदद कीजिये.... 🏻 🏻 बस आप इस whatsApp no 8017025376 पर " NAME " लिख कर send की kare..
Post a Comment