एक पुराने फोटो के सामने आने पर गौर किया -
बेटे का ध्यान माँ पर है और बेटी का पापा पर ....
बेटे का ध्यान माँ पर है और बेटी का पापा पर ....
1992 में |
और ये टी शर्ट अब तक है मेरे आलमारी में -
26 जुलाई 2016 में |
बिछुड़ने के पल
होते हैं उदासी भरे
और शुरू होता है
यादों का कारवाँ यहीं से
एक आस टूटती है
एक साँस छूटती है
और हो जाता है सफर
शुरू अनन्त का
न ओर है ,न छोर है
बस! तुम्हारे प्रेम की डोर है
आउँगा वापस
सिर्फ़ तुम्हारे लिए
तुम न रोना
न उदास ही होना
उम्मीद का दामन
थामें रखना
इसी जगह
इसी तरह
हम किसी भी पल
फिर मिलेंगे ...
-अर्चना
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