प्रिय रानू ,
स्नेह। .. ....
कहाँ से शुरू करूँ समझ में नहीं आ रहा... कुछ ख़ास बातें बताना है तुम्हें ... तुम्हारा जन्म हुआ नानी के घर
और रानू नाम दिया इन आंटीजी ने ,जो रांची में हमारी मकान मालकिन थी
.... अपने पापा की लाडली बेटी हो तुम ,वैसे तो सब लड़कियां अपने पापा की लाडली होती है मगर तुम ख़ास इसलिए कि --
५ साल की उम्र बहुत कम होती है पापा के हाथ से खाई दाल में चूरी रोटी के स्वाद को याद रखने की।
.. हां पांचवां जन्मदिन मनाने के एक दिन पहले ही उन्हें चले जाना पड़ा था ... लेकिन जिस बहादुरी से तुमने भैया के साथ मिलकर आगे कदम बढाए उसकी प्रशंसा पाने की हकदार हो ...
"भैया के साथ मिलकर आगे कदम बढाए" लिखने पर तुम दोनौं की सारी कारस्तानियां आँखों के सामने से गुजर रही है ....
के. जी. टू में थी तब हमें नागपुर आ जाना पड़ा था। पापा को पलंग पर लेटे देखकर पूछा करती थी -पापा कब ठीक होंगें? और उत्तर जानते हुए भी मैं कह देती -- हो जाएंगे। ..
फिर जब हम नाना के घर वापस लौटे तो तुम तीसरी कक्षा में आ गयी थी अब तक टाटपट्टी बिछाकर उसपर बैठकर पढ़ाई करने वाला स्कूल तुम दोनों ने पहली बार देखा था। . ..
...... पूरे ननिहाल के गाँव को तुम दोनौं का बचपन अब भी भुलाए नहीं भूलता। ..
पांचवी में थी तब हम इंदौर (हॉस्टल) में आ चुके थे .... .. १९९८ में तुम्हारा दसवां जन्मदिन मनाया था हॉस्टल की मेस में। .... पूरे पांच साल बाद .......
छठी कक्षा की क्लास टीचर "नाग मेडम" को मैं भी नहीं भूली हूँ। . :-)
सातवीं में तुम स्काऊट -गाईड के केम्प में नेपाल गई थी। ....
आठवीं में जब तुम आई तो सरला सरवटे मेडम के प्रोत्साहन से गोताखोरी सीखनी शुरू की। ... और राष्ट्रीय गोताखोरी प्रतियोगिओं में भागीदारी की ...नौंवी। .दसवीं और ग्यारहवीं तक। ...
यहीं से अपना खिलाड़ियों वाला रिश्ता मजबूत हो गया। ...... याद होगा जब ४०० मीटर रिले-रेस की हिस्सा थी और १०० मीटर में भी दौड़वा दिया था नवीन सर ने .....
बारहवीं में तीन महीने तक हम सबके बहलावे में आकर साइंस विषय लिया .....लेकिन तुम्हारा मन नहीं माना ..... और मन की जीत हुई .... कॉमर्स विषय लेकर गोताखोरी को भी अलविदा कर दिया तुमने .....
इन तीन सालों में मैं और तुम दो सदस्य रह गए थे घर में। ..भैया जा चुका था अपना आसमान तलाशने। ... और इन्हीं दिनों हमने खूब मस्ती की। ... इंदौर सराफा से लेकर छप्पन तक ..कुछ नहीं खाने का बचा जिसका स्वाद न लिया हो। ... :-)
इन्हीं दिनों तुमने स्कूटर सीखा और बाजार से सामान-लाने का काम तुम्हारे जिम्मे हो गया ..... भैया के कॉम्पिटेटिव एक्ज़ाम के फ़ार्म भरना कैसे भूल सकते हैं हम। ....
फिर सफर शुरू हुआ तुम्हारा घर से बाहर का जब स्नातक की पढ़ाई के लिए पूना गई तुम ..... तुम्हारा ये कहना कि -अगर मैं बारहवीं पास कर लुंगी तो भैया जैसे मुझे भी भेज दोगी न बाहर पढ़ने रोकोगे तो नहीं। .... मुझे भी मजबूत बनाता गया। .....
और ... तुम्हारे जीवनसाथी चुनना और सबकी सहमती लेने के फैसले का पूरे परिवार ने सम्मान किया ....
वैवाहिक जीवन में भी तुमने बहुत ही जल्दी सबको सम्भाल लिया ....
नए रीति -रिवाज ,खान-पान और परिवार को समझने का मौका ही नहीं दिया ईश्वर ने ... केदारनाथ हादसे में तुमने ही नहीं हम सबने भी असमय ही अपने परिजनों की खो दिया। .......
लेकिन जिस दृढ़ता से उस घड़ी में तुमने अपने आप को संयत रखा जीवन भर तुम्हारा हौसला और साहस वैसा ही बना रहे ये मेरा आशीष है .....
और हाँ तुम्हारे रसोई प्रेम का उल्लेख करे बिना ये चिठ्ठी अधूरी है ..... मैंने तुम्हैं कुछ नहीं सिखाया लेकिन तुम्हारे खाना-पसंद मामाओं और बढ़िया खाना बनाने वाली मामियों की मदद से तुम बहुत अच्छे कुक बन गयी हो। ...
जिसमें अगर मैं ---सुमुख-निशी-चिंकी का नाम न लूँ तो वे बुरा मान सकते हैं। ... :-) वत्सल भैया इन सबसे वंचित रह गया लेकिन अब तुम उससे टक्कर ले सकती हो ,बहुत टेस्टी खाना बना कर मुझे खिलाता है। .. :-)
.... नीलेश और दिप्ती ने भी तुम्हारी रसोई में स्वाद बढ़ायें हैं ... अब आती हूँ कान्हा पर उसने तुममें वात्सल्य की पहचान कराई तुम अपनी मामियों की तरह ही उसकी चहेती मामी हो ....
और अब हमारी "मायरा" रानी तुम एक तो वो सवा है ,तुम उन्नीस तो वो बीस ,
....... अभी से मुझे "आंटी " कहकर चिढ़ाती है :-)
जन्मदिन मनाना कोई तुमसे सीखे। ....
एक महीने पहले से एक महीने बाद तक बधाई मिलती रहे हमेशा की तरह। .... और गिफ्ट मिले तो सोने पे सुहागा। ... :-)
...... वैसे ये तुम्हारा कौनसा जन्मदिन है। .. :-) :-) पूछ रहे हैं वत्सल -नेहा और दे रहे हैं जन्मदिन की बधाई और स्नेहाशीष ! ...
गिफ्ट भी मिल जाएगा। . "सेरा"से मिलना न भूलियो !!!
11 comments:
Shabdo se ansuo tk safar karwana to koi apse sikhe... I LOVE U.. :*
Shabdo se ansuo tk safar karwana to koi apse sikhe... I LOVE U.. :*
निशब्द !
बहुत प्यारी चिठ्ठी...आप सभी पर ईश्वर की कृपा बनी रहे ।
एक लम्बा सफ़र
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति स्वर्गीय बटुकेश्वर दत्त जी की 51वीं पुण्यतिथि
और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
How sweet :)))
Very nice letter. It is so emotional too. God bless you and sweet family !
बहुत दिल से लिखी इस चिट्ठी में हमारी बहिन की सरलता और संवेदना भी स्पष्ट है . पल्लवी के लिया यह बेशकीमती उपहार है . बधाई .
बहुत स्नेहसिक्त चिठ्ठी.
ईश्वर की कृपा बनी रहे सदा आपके
सभी परिवार पर 🙏💐
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