Sunday, May 28, 2017

चाहिए मानहानि हर्जाने के हिसाब के लिए योग्य नेताजी


बचपन में दादी से कहानी सुनाने को कहते तो उनकी शुरुआत होती -एक राजा था ,वो बड़ा अच्छा था, उसकी प्रजा भी राजा का बहुत मान करती थी ,और हमारा प्रश्न खड़ा हो जाता - क्या करती थी? दादी कहती - मान, और हमारे पल्ले कुछ न पड़ता तब एक ही चारा बचता या तो राजा की कहानी सुन लो या मान को जान लो,और हम राजा की कहानी चुनते मुंह पर उंगली रखकर ,तो मान कभी समझ नहीं आया ,
उन्हीं दिनों जोशी मास्साब हम सब भाई बहनों को गणित पढ़ाने आया करते थे वे समझाते लाभहानि, हमें लाभ मतलब फायदा और हानि मतलब नुकसान समझ आया तो मान का नुकसान उठाते रहे तो मानहानि वही समझा।
जब थोड़ी बड़ी हुई तो लड़की होने के चलते पहले पिता और फिर पूरे परिवार और समाज के मान के बोझ को कंधें पर टिका पाया पर कभी मान को गिरने न दिया ।

मान की हानि पर हर्जाना भी मिलता है, आज समझ आने लगा ,अखबारों में नेताओं के अड़ी-सड़ी बातों पर मानहानि के दावे ठोकने की खबरें देख -देख कर (पढ़कर समय बर्बाद होगा उसका हर्जाना कौन देगा )सो ...

सोचती हूं बचपन से अब तक हुए मेरे मान की हानि के हर्जाने का हिसाब लगाने का काम करवा लूँ किसी अच्छे सी ए को खोज कर, बिना पूछे  लड़कियों के काँधे पर घर-परिवार ,समाज ,गांव,तक के मान के रखवाली का जिम्मा जबरन थोपने के लिए …... सी ए से बेहतर कोई नेता ही हायर क्यों न कर लूं हजार नहीं तो सौ नहीं तो दस करोड़ तो मिल ही सकते हैं, क्या ख़याल है ?

1 comment:

Udan Tashtari said...

सटीक...बहुत सही!!