Showing posts with label बचपन. Show all posts
Showing posts with label बचपन. Show all posts

Monday, November 14, 2016

बालदिवस विशेष


सारी दौलत तो क्या, लुटा दूं मैं अपनी जान 
लाने को मेरे बच्चों के होठों पर हलकी-सी मुस्कान !

बालदिवस विशेष !- 



Sunday, November 13, 2016

सबसे बड़ा रुपैया


न मुन्ना न ! आज नहीं 
कल ले लेंगे 
नया खिलौना
ये वाला अच्छा नहीं
कहकर बच्चे को समझाना
बिटिया से कहना कि -

बस वो जो तीसरी लाईट दिख रही है न! 
उस तक पैदल चल

वहां से रिक्शा में बैठना
परेशानियों की कड़के की धूप में 

तलाशते हुए छईयाँ 
एक लाचार माँ ही बता सकती है, 

क्या होता है -
सबसे बड़ा रुपैया 

Tuesday, December 16, 2014

भोर का राग

अपनी नानी याद आ रही है मुझे भी .....अभी -अभी भोर का मायरा राग आलाप बंद हुआ है,पता नहीं क्या सूझा रात्रि को पहले पहर का भी सुनाया .....तब तो नानी ने सुन-सुन के  समापन करवा  लिया तो नानी का हाथ तकिया बनाना पड़ा .....अब माँ की गोद में बिराज कर ही सुनाया .... राग तो बंद हुआ मगर माँ हिली तो फिर शुरू होने का खतरा ..... पापा थक के अब  सारंगी बजा रहे हैं ......

फेसबुक पर मॉर्निंग वाक किया तो घुघूती बासुती जी कहते हुए दिखी -
वाह बारहखड़ी!!