दो पोस्ट पहले एक पहेली पूछी थी , रजनीश जी ने तो बहाना बना दिया था , और वत्सल के दिमाग के नट-बोल्ट ही गिर गए थे |बाकी किसी ने कोशिश ही नही की |सोंचा थोड़ा आसान कर दू----थोड़े शब्द बतायेऔर थोड़े मंगवाए (सोने के भाव आए ) |(आसान होते ही) सबसे पहले समीर जी ही आए ,थोड़े से शब्द उड़नतश्तरी पर लाये (वजन बढ़ जाने के डर से शायद ) पूछा ---चलेगा ??? मेरे बोलने से पहले ही द्विवेदीजी नेतो बस चलेगा क्या उडेगा !!! कहा और टाल दिया ( सोचा होगा झगडा बढ़ने से पहले ही निबटा दू तो अच्छा होगा ),फ़िर एक भारतीय आए थोड़े नए शब्द ले आए जो थे थोड़े भारी और हट के , और लोगो का रास्ता देख ही रही थी की पहली बार अविनाश वाचस्पति शब्द देने मेरे घर आए उनको पहले वालो के कुछ भाए ,कुछ नही भाए ,उन्होंने मुझसे सारे शब्दों में से चुनवाए ----( विनय शायद पहेली से ज्यादा इनके शब्दों से ही चकराए ) ------मुझको हल करवानी थी पहेली पर वो कुछ और ही सोच के आए बोले---- मै कहानी लेके आता हूँ----या आप कविता बनाये| ( फ़िर हम सब मिलकर खाए,खिलाए ) सुझाव मुझे पसंद आया ,ये भी ठीक रहेगा ( सब्जिया वैसे भी मंहगी है ) , मस्त आइडिया है ----लोगो से शब्द बुलवाए ,थोड़े हिलाए -डुलाए , मसाला लगाए कुछ ऐसी कुछ वैसी (बे -सिर- पैर की) पोस्ट टिपियाए !!!!! | ( , (भला हो ऐसी टिप्पणियों का जिनसे नए विचार आए )|
2 comments:
वाह जी वाह...........बातों ही बातों में ब्लोगेरों की कहानी.............क्या अंदाज़ है........
वादा रहा, मेरी अगली टिप्पणी से नये विचार अवश्य आयेंगे... ;)
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