१----- जानकारी
अभी तक यही सुनने में आया है---
कि जानकारी के अभाव में लोगों ने अपना समय और पैसा गंवाया है ,
तो हम क्यों न जानकारों से करें विनती--- वे सभी को बताएँ---
कि उन्होंने अपना समय और पैसे कैसे बचाए ???
२-----इन्द्र्धनुष
आसमान में रोज नये रंग बनते हैं ,
सूरज भी उगता है और बादल भी छँटते हैं ,
सुख और दुख के बीच हर एक के दिन कटते हैं ,
मिलजुल कर रहें तो ये दोनों आपस में बँटते हैं ।
३-----हँसी
बातें करो थोडी-थोडी ,
हों वो छोटी , ना हों बडी ,
मुस्कुराओ जैसे बूंदों की लडी ,
हँसो जैसे सावन की झडी ।
४-----मदद
ऐसी बारिश हो कि कोई नदी न सूखे ,
ऐसा वातावरण दो कि कोई दुख मे न डूबे ,
खुद भी सीखो दूसरों को भी सिखाओ ,
अपना तो ठीक है, औरों का जीवन बनाओ ।
५-----गम
मन का दरवाजा खोल दे ,
सपनों पर जमीं धूल उड जायेगी ,
कडवी यादों का अफ़साना बोल दे ,
आंसू बहाने की आदत छूट जायेगी ।
17 comments:
बहुत सुन्दर ..
मुस्कुराओ जैसे बूंदों की लडी ,
हँसो जैसे सावन की झडी ।
bahut achchha
सहज शब्दों में न्यारी बातें कह दी हैं आपने इन क्षणिकाओं में।
बातें करो थोडी-थोडी ,
हों वो छोटी , ना हों बडी ,
मुस्कुराओ जैसे बूंदों की लडी ,
हँसो जैसे सावन की झडी ।
bahut hi sunder lagi yeh aur baki bhi,badhai.
सुंदर कवितायेँ.
बहुत सुन्दर!!
bahut hi sundar chhoti kavitaye .......jisame bhawo ki dhara hai......
बहुत सुन्दर छोटी छोटी रचनाये है . पढ़कर बहुत अच्छा फील हुआ. बधाई . लिखती रहिये.
धन्यवाद आप सभी का इन छोटी कविताओं को सराहने के लिए!!!!!
सुन्दर! लिखना जारी रखें!
sari ki sari bekar poems hain
kisi ko kuchch likhna nahin aata
kavitaa likhenge hunn!!
vanshaj
वंशज जी आपकी सोच अनुसार कविता कैसी हो आप क्या चाहते हैं
really nice ,
very realistic..
keep writing ..
Jo log khud bekaar hote hain, aur khud kuchh nahi kar sakte unhe har acchhi cheez bekar kagti hai......
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for vanshaj
बहुत सुन्दर..
धन्यवाद अर्चना जी
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