Friday, March 4, 2011

फ़िर आई होली......और साथ मेरे हो ली....

                                              (चित्र--वत्सल -पल्लवी की पहली होली का-१९८९)
एक ऐसी होली जिसे मैं कभी याद करना नहीं चाहती...और जो मेरे भुलाए नहीं भूलती...।
बात उन दिनोंकी है जब मेरा समय घर से ज्यादा अस्पताल में गुजरा करता था। त्यौहार कब आते ,कब मनकर चले जाते, पता ही नहीं चल पाता था।
१९९४ की होली थी वो....सुनिल के एक्सीडेंट के बाद की पहली होली थी वो.....डॉक्टरों के जबाब दे देने के बाद घर लेकर आ गए थे हम उन्हें...पूरा परिवार इस घटना से उबरने की कोशिश में लगा हुआ था....उस दिन रंग नहीं ला पाए थे हम बच्चों के लिए या कहूँ याद ही नहीं रहा था कुछ....शाम को डॉक्टर से मिलकर जब लौटी मैं तो बच्चे कहीं दिखाई नही दे रहे थे। मैने आवाज लगाई तो बेटी जिसकी उम्र साढ़े पाँच साल थी ...दौड़ती हुई आई...भीगी हुई थी पूरी....और चेहरा,हाथ,कपड़े सब रंगीन थे...समझ नहीं पा रही थी- हुआ क्या है?
पूछा--- ये क्या किया?
बोली--भैया ने किया।
कहाँ है भैया? ---अन्दर ले गई, बाथरूम में ...
माँ भी आते हुए बोली -यहीं खेल रहे थे दोनों अभी....
और जो हम दोनों ने देखा ----वत्सल भी भीगा हुआ था टब,बाल्टी,मग जिसमें भी पानी था---सारा रंगीन.....
एक दिन पहले ही लाए हुए सारे स्कैच पेन टूटे, और खुले हुए--- बिखरे पड़े थे चारों ओर.....और भोले पन से बोला था---रंग लगाना था न.....आपको और पापा को भी लगाना है....... और मामा को ....नानी को भी .....तो सब का बना लिया.....रानू के पेकेट का भी ..............





13 comments:

राज भाटिय़ा said...

बच्चो को क्या पता.. वो तो सच मे मन के सचे होते हे

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

दुःख हो या सुख बच्चों को इससे क्या मतलब?
उन्हें तो निश्छल होली खेलने में आनन्द आता है!

Satish Saxena said...

आनंद आ गया ...बच्चों की न भुलाई जाने वाली शरारतें ...शुभकामनायें आपको !

Kailash Sharma said...

बच्चे तो दुःख सुख से अनजान होते हैं..शुभकामनायें

प्रवीण पाण्डेय said...

बच्चे मन के सच्चे।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

sukh dukh se anjaan ye bachche
jo hain dil ke sachche..:)

Patali-The-Village said...

बच्चे तो मन के सच्चे होते हैं| धन्यवाद|

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

बच्चों का क्या है आख़िर बच्चे तो बच्चे ही होते हैं

Smart Indian said...

एक यादगार चित्र! बच्चे वाकई ईश्वर का प्रतिरूप होते हैं।

बाल भवन जबलपुर said...

बच्चों के भोले पन और आपकी दृढ़ता को सलाम

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बच्चे तो बच्चे ही होते हैं...

वाणी गीत said...

बचपन सुख दुःख से अनजान !
भीगा सा लगा मन !

निवेदिता श्रीवास्तव said...

बच्चों का यही भोलापन ही तो गम्भीर से लगते पलों को भी कुछ सहज कर देता है .....