Saturday, August 6, 2011

हमारा हवामहल -- "इंतजार" आभासी रिश्तों का सम्मिलित प्रयास

कई साल बीत गए जब सुना करती थी विविध भारती पर "हवामहल".....बस उसका संगीत ऐसा रचा-बसा कि अब तक याद है वो नाम ....
बस कुछ नया करने को मन किया और भा गई संजय अनेजा जी की कहानी "इंतजार".....
"साथी हाथ बढ़ाना " गीत की तर्ज पर  .......याद आये सलिल भैया और उन्होंने बदला कहानी को नाटक में ....(मुझे पता नहीं था कि वे ये काम कर सकते हैं मैनें तो बस ये बताया था कि कहानी रिकार्ड करनी है,और दूसरी आवाज भी चाहिए)...
अब करना था रिकार्ड तो दूसरी आवाज के लिए भी मना लिया भैया को .......(बहुत कुछ सीखना भी तो था) .....
काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी ...कभी मैं बिमार तो कभी भैया ....हाय-तौबा करके एक दिन तय कर ही लिया ..वॉईस चेट का इस्तेमाल करना था ..झूमा और भाभी को डिस्टर्ब किए बिना(टी.वी. दखने से) ....
बहुत आवाज आ रही थी सिरियल की ....बेचारे भैया ....लेपटोप लेकर कमरा बदलते रहे ...आखिर दोनों के सोने के बाद शुरूआत हुई.....रिकार्ड किया (एक ही बार मे).......ताम-झाम करके .....
हुआ तो ठीक अब संगीत की कमी खल रही थी .......ये काम सौंपा--पदमसिंग जी को ....वे माहिर हैं इसमें(शायद किसी को पता न हो )....और घर से घूम के आने पर किया वादा पूरा उन्होंने भी ....
इस तरह कई परेशानियों के बाद भी पूरा हुआ "हमारा -हवामहल" ......आभासी रिश्तों का एक और सम्मिलित प्रयास...
चाहा तो था कि इसी ब्लॉग पर पोस्ट करूं ....पर "हिन्दयुग्म" टीम की मेहनत को देखकर इसे वहाँ पोस्ट करना उचित समझा....(अनुराग शर्मा जी का सहयोग भी तो लेना था )
अभी तक किसी से मुलाकात तो नहीं हुई है पर..कार्य आपके सामने है .....
मै अपने  सभी सहयोगियों की आभारी हूँ (बहुत परेशान किया है सबको)......आशा है आप सबको हमारा ये सम्मिलित प्रयास पसन्द आयेगा ...सुनिये यहाँ -----
"हमारा -हवामहल" ..





20 comments:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बहनों का आदेश मुझसे टाला नहीं जाता और फिर छोटी बहन का आदेश तो टालना असंभव है.. जोक्स अपार्ट, पता नहीं कितने बरसों या कहूँ दशकों से नाटक करना छोड़ रखा था..सोचा, चलो देखें कि अभी भी आवाज़ में वही दम है या वक्त की दीमक ने आवाज़ को खोखला कर दिया है. ये फैसला तो लोगों के हाथ है..
मैं स्वयं आभारी हूँ, अर्चना का, संजय जी का, अनुराग शर्मा जी का और अबव ऑल श्री पदम सिंह का जिन्होंने पूरे कौनसेप्ट को जीवंत कर दिया पार्श्व संगीत से!!

मनोज भारती said...

अर्चना जी!!! बेहद खूबसुरत काम किया है आपने!!!इस नाट्य रुपांतर को सुन कर दिल पुलकित हो उठा। सलिल जी और आपकी मधुर आवाज ने संजय अनेजा जी की कहानी को जो जीवंतता प्रदान की है...उसके लिए दिल से आभार! पार्श्व-संगीत और आवाजों का संयोजन नाटक को जीवंतता प्रदान करता है। पद्म सिंह जी इस कार्य के लिए बधाई के पात्र हैं। संजय जी की कहानी को सलिल जी ने जो संवाद दिए हैं...वे बहुत ही दिल छूने वाले हैं। इस नाटक को दो बार सुन चुका हूँ ...और अनेकों बार सुनना चाहूंगा। मन को छूने वाले इस कार्य के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद !!!

मनोज कुमार said...

सलिल जी मेरे बड़े भाई हैं इसलिए आप तो बहन ही हुईं।
बहुत ही आत्मीय पोस्ट।
और पोडकास्ट भी सुन रहा हूं।

Smart Indian - स्मार्ट इंडियन said...

अर्चना जी, सलिल जी और पद्म जी - आप तीनों की यह नई पहल प्रशंसनीय है। आशा है आगे इस दिशा में और काम होता रहेगा। कहने की आवश्यकता नहीं है कि आपके उत्साह का क़ायल हूँ।आवाज़ के पटल पर संजय अनेजा का स्वागत है।

आभार!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपका प्रयास सराहनीय है!

संजय भास्‍कर said...

...बेहद सराहनीय प्रयास है...अर्चना जी

प्रवीण पाण्डेय said...

मुझे ऐसे ही महत प्रयास की प्रतीक्षा थी।

Avinash Chandra said...

बहुत बढ़िया!
सचमुच हवामहल की याद आ गई।
इस सुन्दर कहानी को आपलोगों ने इतनी खूबसूरती से निभाया है, लगता ही नहीं कि एक कमरे में बैठ के नहीं रिकॉर्ड किया हो।
आवाज और पार्श्व संगीत दोनों ही बहुत अच्छा है।

Murari Pareek said...

bahut sanjeedaa sanwaad badhiyaa laga!!

virendra sharma said...

गीति नाट्य शानदार .रविन्द्र जैन साहब की याद आ गई .सन्दर्भ वही अर्थ जुदा. शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
Erectile dysfunction? Try losing weight Health
...क्‍या भारतीयों तक पहुच सकेगी यह नई चेतना ?
Posted by veerubhai on Monday, August 8
Labels: -वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई), Bio Cremation, जैव शवदाह, पर्यावरण चेतना, बायो-क्रेमेशन /http://sb.samwaad.com/

vijay kumar sappatti said...

बहुत ही अच्छा प्रयास है अर्चना जी .. पहली बार आया हूँ . बहुत अच्छा लगा जी .. धन्यवाद. एक जमाने में बहुत "हवामहल ' सुनते थे .. याद दिला दि आपने उन दिनों की.


आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

संजय कुमार चौरसिया said...

बहुत बढ़िया!

virendra sharma said...

इस गीति नाटिका के सभी पात्रों को बधाई .. .http://veerubhai1947.blogspot.com/
सोमवार, ८ अगस्त २०११
What the Yuck: Can PMS change your boob size?

virendra sharma said...

`तमाम ब्लोगार्थियों का "हवा महल "है ये अब ,स्वर ,नाद .,और कथा .... ..कृपया यहाँ भी आयें - http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_09.html
Tuesday, August 9, 2011
माहवारी से सम्बंधित आम समस्याएं और समाधान ...(.कृपया यहाँ भी पधारें -)

varsha said...

do you know that your blog is featuring in the New York Times ???
Congratulations and a big HUG !!

varsha said...

http://www.nytimes.com/2011/08/10/world/asia/10iht-letter10.html?src=twrhp

Padm Singh said...

कहानी पोस्ट होने से पहले ही मेरा नेट खराब हो गया था जिससे मै कुछ दिनों अनुपस्थित रहा... कहानी की रिकार्डिंग जब मेरे पास आई तो विश्वास नहीं हो रहा था कि सुदूर इंटरनेट पर बैठ कर ऐसे प्रयास किये जा सकते हैं... पहला प्रयास होने के कारण इसमें कई कमियाँ रह गयी होंगी, किन्तु खुशी है कि हमें बहुत कुछ सीखने को मिला है... मै इस पॉडकास्ट टीम के सभी सदस्यों का आभारी हूँ कि मुझे इसमें शामिल किया... और श्रोताओं से निवेदन है कि इसे प्रारंभिक प्रयास जैसा ही देखेंगे ...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

हार्दिक बधाईयां।

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बारात उड़ गई!
ब्‍लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!

दिगम्बर नासवा said...

मज़ा आ गया सुन के .... पुराने वाले हवा महल की याद आ गयी ... सभी ने मिल के समां बाँध दिया ...

संजय @ मो सम कौन... said...

अर्चना जी,
बहुत बहुत धन्यवाद, आपका और सभी संबंधित योगदानकर्ताओं का भी।