इन्तजार,इन्तजार है
उसमें जितना गुस्सा
उतना ही प्यार है..
रोक नहीं सकता
कोई किसी को
इन्तजार करने से
क्योंकि ये हर किसी का
अपने महबूब से
प्यार का इज़हार है ....
उसमें जितना गुस्सा
उतना ही प्यार है..
रोक नहीं सकता
कोई किसी को
इन्तजार करने से
क्योंकि ये हर किसी का
अपने महबूब से
प्यार का इज़हार है ....
4 comments:
कोई रोकने वाला न हो, तभी प्रतीक्षा होती है।
bahut hi achhi rachna
a nicely expressed voice of the soul, intazar pyar ke izhar ke saath hi pyar ke aaveg ko badane wala bhi hai
बढ़िया रचना...
सादर...
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