Sunday, August 28, 2011

रोक सको तो रोक लो...

इन्तजार,इन्तजार है
उसमें जितना गुस्सा
उतना ही प्यार है..
रोक नहीं सकता
कोई किसी को
इन्तजार करने से
क्योंकि ये हर किसी का
अपने महबूब से
प्यार का इज़हार है ....



4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कोई रोकने वाला न हो, तभी प्रतीक्षा होती है।

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi achhi rachna

sanjeev said...

a nicely expressed voice of the soul, intazar pyar ke izhar ke saath hi pyar ke aaveg ko badane wala bhi hai

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बढ़िया रचना...
सादर...