Saturday, September 3, 2011

माँ को नहीं आता मोबाइल चलाना......

 अरूण चन्द्र रॉय जी की कविताएं ...उनके ब्लॉग सरोकार से ...

8 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

तब इस कविता को पढ़कर अच्छा लगा था आज सुनकर।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

मैं तो फैन हूँ अरुण जी का... आज तुम्हारी आवाज़ के लिए इन कविताओं का चुना जाना मेरे लिए दोहरी खुशी का कारण बन गया है!!

मनोज कुमार said...

अरुण की कविताएं काफ़ी संवेदनशील होती हैं। आपके स्वर ने उन संवेदनाओं को जान दे दिया है।

अरुण चन्द्र रॉय said...

अर्चनाजी मेरी कविताओं को स्वर देने के लिए बहुत बहुत आभार...यह कविता मेरी प्रिय कविताओं में एक है... आपका पाठ बहुत बढ़िया है...

vandana gupta said...

कविता पाठ बहु्त बढिया रहा और अर्चना जी की आवाज़ तो है ही इतनी मधुर जैसे कोयल कुहुक रही हो।

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

behtarin andaj mein bahtarin rachna paath..badhayee

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर

संजय भास्‍कर said...

अर्चना जी की आवाज़ तो बहुत बढ़िया है...मैं तो फैन हूँ अर्चना जी का....