कल एक अनोखा अनुभव हुआ,(अब ब्लॉग की खबर हो तो अनोखी तो होगी ही),मुझे भूत चढ़ा है पॉडकास्ट बनाने और फ़िर उसे लोगों को सुनवाने का....इस सिलसिले में मुझे कई लोगों के ब्लॉग पर चक्कर लगाते रहना पड़ता है, क्योंकि ये भूत रोज़ कुछ नया और बढ़िया लिखा पसन्द करता है ...
अब होता ये है कि इस चक्कर में जहाँ पहुँचती हूँ वहाँ एक पोस्ट नहीं, सारी देखनी पड़ती है आगे-पीछे...क्योंकि जब पहुँच ही गए हों अच्छी जगह तो लगता है कि दो-चार दिनों का कोटा मिले तो ये भूत बैठे वरना फ़िर सिर चढ़कर नाचने लगेगा....(अब तो परिवार वाले भी तंग आ गए हैं इस भूत से ..पता नहीं किसी दिन मुझे मेरे भूत के साथ जंगल में ही छोड़ आएं)...
हाँ तो जब मैं ऐसे ही खोजते-खोजेते एक ब्लॉग पर पहूँची तो एक मजेदार पोस्ट मिली ...आगे -पीछे भी कुछ चल जाने जैसा ही था..(अब शक हो गया है )...
फ़िर अपनी आदत से लाचार होकर उस पोस्ट पर एक संकेत छोड़ दिया - जिससे वो समझ सकें कि अब भूत कभी भी आ सकता है और मेरे लिये ये सम्मन भेजने जैसा हो जाता है- कि कम से कम बिना बताये तो नहीं लिया पोस्ट को ...
कई बार होता ये हैं कि मैं पहले पोस्ट खोजकर उसका पॉडकास्ट बना लेती हूँ फ़िर लोगों को सुनवाने से पहले उसके मालिक को सुनवा देती हूँ ताकि भूत भी खुश और पोस्ट का मालिक भी खुश (हाँ कहे तभी औरों को सुनवाती हूँ वरना आप तो जानते ही हैं कि ये ब्लॉगजगत है मेरी तो शामत ही आ जाये एक ओर से ये भूत दूसरी तरफ़ वो पोस्ट का मालिक )जीना मुश्किल (हराम नहीं)....
हाँ तो आगे --हुआ ये कि- पोस्ट तय करने के बाद जब रिकार्ड करने के लिए दुबारा वहाँ पहुँची तो चौंक गई ...एक अन्य सज्जन चुपके से उस पोस्ट मालिक को याद दिला गए थे कि ये पोस्ट उन्होंने कहीं और पढ़ी है ऐसा महसूस हो रहा है ...पोस्ट मालिक भी जल्दी से समझ गया था (चुपचाप)..ये जानकर मैं तो बाल-बाल बची कि ये पोस्ट का मालिक असली नहीं है वो तो कोई और हैं और तब पता चला कि भूत सिर्फ़ मेरे सिर पर ही नहीं चढ़ा है ऐसे और भी लोग हैं जिनके सिर पर इस भूत के परिवार वाले सवार है ...
अब मुझे इस भूत का ख्याल रखने में विशेष सावधानी रखनी होगी (पॉडकास्ट बनाने से पहले भी अनुमति लेना होगी) वर्ना मरने के बाद भी सिर चढ़कर बोलता रहेगा और मैं भूत और मालिक की लड़ाई में बेवजह पिसी जाउंगी और बेकार में ही पाप सिर चढ़ जाएगा..क्या पता अगले जन्म में उसका फ़ल मिलने लगे ......
अब खास बात ये कि अगर मुझे सही मालिक का पता न हो और गलती से नकली मालिक से अनुमति ले लूँ तो माफ़ी माँगकर पल्ला झाड़ सकती हूँ न ...
आपकी क्या राय है ???अच्छी पोस्ट जहाँ से पहले मिले वहाँ से चुन लूँ या नहीं ???
अब होता ये है कि इस चक्कर में जहाँ पहुँचती हूँ वहाँ एक पोस्ट नहीं, सारी देखनी पड़ती है आगे-पीछे...क्योंकि जब पहुँच ही गए हों अच्छी जगह तो लगता है कि दो-चार दिनों का कोटा मिले तो ये भूत बैठे वरना फ़िर सिर चढ़कर नाचने लगेगा....(अब तो परिवार वाले भी तंग आ गए हैं इस भूत से ..पता नहीं किसी दिन मुझे मेरे भूत के साथ जंगल में ही छोड़ आएं)...
हाँ तो जब मैं ऐसे ही खोजते-खोजेते एक ब्लॉग पर पहूँची तो एक मजेदार पोस्ट मिली ...आगे -पीछे भी कुछ चल जाने जैसा ही था..(अब शक हो गया है )...
फ़िर अपनी आदत से लाचार होकर उस पोस्ट पर एक संकेत छोड़ दिया - जिससे वो समझ सकें कि अब भूत कभी भी आ सकता है और मेरे लिये ये सम्मन भेजने जैसा हो जाता है- कि कम से कम बिना बताये तो नहीं लिया पोस्ट को ...
कई बार होता ये हैं कि मैं पहले पोस्ट खोजकर उसका पॉडकास्ट बना लेती हूँ फ़िर लोगों को सुनवाने से पहले उसके मालिक को सुनवा देती हूँ ताकि भूत भी खुश और पोस्ट का मालिक भी खुश (हाँ कहे तभी औरों को सुनवाती हूँ वरना आप तो जानते ही हैं कि ये ब्लॉगजगत है मेरी तो शामत ही आ जाये एक ओर से ये भूत दूसरी तरफ़ वो पोस्ट का मालिक )जीना मुश्किल (हराम नहीं)....
हाँ तो आगे --हुआ ये कि- पोस्ट तय करने के बाद जब रिकार्ड करने के लिए दुबारा वहाँ पहुँची तो चौंक गई ...एक अन्य सज्जन चुपके से उस पोस्ट मालिक को याद दिला गए थे कि ये पोस्ट उन्होंने कहीं और पढ़ी है ऐसा महसूस हो रहा है ...पोस्ट मालिक भी जल्दी से समझ गया था (चुपचाप)..ये जानकर मैं तो बाल-बाल बची कि ये पोस्ट का मालिक असली नहीं है वो तो कोई और हैं और तब पता चला कि भूत सिर्फ़ मेरे सिर पर ही नहीं चढ़ा है ऐसे और भी लोग हैं जिनके सिर पर इस भूत के परिवार वाले सवार है ...
अब मुझे इस भूत का ख्याल रखने में विशेष सावधानी रखनी होगी (पॉडकास्ट बनाने से पहले भी अनुमति लेना होगी) वर्ना मरने के बाद भी सिर चढ़कर बोलता रहेगा और मैं भूत और मालिक की लड़ाई में बेवजह पिसी जाउंगी और बेकार में ही पाप सिर चढ़ जाएगा..क्या पता अगले जन्म में उसका फ़ल मिलने लगे ......
अब खास बात ये कि अगर मुझे सही मालिक का पता न हो और गलती से नकली मालिक से अनुमति ले लूँ तो माफ़ी माँगकर पल्ला झाड़ सकती हूँ न ...
आपकी क्या राय है ???अच्छी पोस्ट जहाँ से पहले मिले वहाँ से चुन लूँ या नहीं ???
10 comments:
हा, हा, हा! कोई कवि अगर अपनी कृति बताकर आपको ताजमहल बेच जाये तो आपने चाहे कितनी भी कीमत दी हो, सेल डीड तो ग़ैरक़ानूनी ही रहेगी। इसलिये पहले से ही टाइटल डीड चैक करना ज़रूरी है। और साथ ही इंसान की पहचान भी।
सभी भूतों के मालिक भूतेश्वर भोले भंडारी शिव हैं,जो सदा कल्याण ही करनेवाले हैं.आपका उद्देश्य 'शिव'है,हितकर है तो भूतों से क्या डरना अर्चना जी.
हमारे पेशे में कहते हैं कि कोई भी आदमी वैसा अधिकार दे सकता है, जैसा उसके पास हो. यानी कि चोरी के माल को अपना बताकर बेचने वाला, अपने साथ-साथ खरीदने वाले को भी चोर बना देता है... इसलिए अपने जूनून के लिए इस ओर से सावधान रहें, एक अच्छा सबक मिला.
एक आदमी के पैरों पे प्लास्टर देखकर कारण पूछने पर पता चला कि एक जूनून के कारण वो हादसा हुआ है. जूनून सड़क पर पड़ी जलती सिगरेट को जूते से मसलकर बुझाने का. ये हादसा तब हुआ जब सिगरेट की टुकड़ा एक गहरे गड्ढे में पड़ा था और वहाँ अन्धेरा था!!
ब्लॉग जगत में चोरियां आम होती जा रही हैं, इसलिए होशियार!!
भक्तिरस की वन्दनाए करने वालों को भूत नहीं सताते हैं!
अर्चना जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
आप तो किसी भी पोस्ट की गुणवत्ता बढ़ाने में सक्षम हैं।
awashya chuniye , per bariki se
आपके वाले भूत के कज़ीन हर तरफ घूम रहे हैं...जरा संभल कर...
मुझे लगता है कि आप जिस पोस्ट की बात कर रही हैं, मैं समझ गया।
वह पोस्ट दिये गये लिंक वाली पोस्ट से प्रभावित तो है, लेकिन ट्रीटमेंट अलग तरह से है। लिंक वाली पोस्ट जहाँ अपने आप में एक शानदार कामेडी दिखती है, वहीं यह पोस्ट आज के हालात पर एक कटाक्ष है। मेरे हिसाब से तो आपको पॉडकास्ट करना चाहिये। इन्स्पायर तो चेतन अवचेतन में हम सभी बहुत सी चीजों के साथ होते हैं और मेरे नजरिये से इस सबका सकारात्मक पहलू ये है कि हमें दो अच्छी रचनायें पढने को मिलीं स्पष्ट कर दूँ कि अंग्रेजी वाली पोस्ट मुझे हिंदी वाली पोस्ट से भी ज्यादा मजेदार लगी लेकिन मैं उस पोस्ट तक पहुंचा इसी पोस्ट के माध्यम से। मैं तो कहूँगा कि आप दोनों पोस्ट्स का पॉडकास्ट बनाईये, अंग्रेजी से हमारा वैर तो नहीं है न?
एक व्यक्तिगत अनुभव, मैंने अपना एक पसंदीदा गाना ब्लॉग पर लगाया। कमेंट्स में मालूम चला कि उस गाने की धुन हूबहू एक इंगलिश गाने की नकल है। ये पता चलने के बाद भी उस हिंदी गाने के प्रति मेरा मोह कम नहीं हुआ, इंगलिश वाला गाना शायद मैं कभी सुन ही नहीं पाता। मेरे जैसे और कितने ही हैं, उन्हें वो धुन सुनने को मिली क्योंकि जिसने भी उस धुन को चुराया, हमरी भाषा में प्रस्तुत करके हमें तो एक खूबसूरत चीज दी ही है। हाँ, मूल रचनाकार को ड्यू क्रेडिट जरूर मिलना चाहिये, ऐसा किया जाता तो शायद बेहतर होता।
भूतिया पॉडकास्ट की प्रतीक्षा में।
made me laugh so much . Thanks
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