Friday, June 8, 2012

जादू की झप्पी...




 जादू की झप्पी...
आओ मुझसे मिलो
बिना झिझके
गले भी लगो
मैने बना लिया है
मौन का एक खाली घर
जहाँ मैं हूँ और मेरे कंधे
रो कर थके हुओं को
सोने के लिए
एक जादू की झप्पी के बाद
रोने की नहीं होती कोई वजह
और इसीलिए
मेरे घर में हमेशा बची रहती है जगह...

11 comments:

अनूप शुक्ल said...

बहुत खूब! इसे अपनी आवज में भी पोस्ट कीजिये !

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत अच्छा भाव, यही प्रेम पल्लवित होता रहे।

सदा said...

भावमय करते शब्‍दों का संगम ...

Kailash Sharma said...

बहुत भावमयी प्रस्तुति....

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत खूबसूरत हैं ये जादू की झप्पी

M VERMA said...

सलामत रहें झप्पियाँ

ANULATA RAJ NAIR said...

सुन्दर !!!!!!!!!!!!

Ramakant Singh said...

ह्रदय विशाल हो सागर की भाँती तो सब कुछ समां जाता है यही विशालता जादू की झप्पी में शायद परिवर्तित हो जाता है.

Udan Tashtari said...

सही है.....स्नेहमयी ममतामयी भावपूर्ण प्रस्तुति!!

संजय भास्‍कर said...

jadu ki jhappi pasand aai ji

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

जादू की झप्पी बड़ी काम की
सैर करा देती चारों धाम की
हे माँ! तू देवी लगती है मेरी
जपू माला नित तेरे नाम की