कुछ दिनों पूर्व माँ आई हुई थी मेरे पास.... मेरे सुबह स्कूल चले जाने के
बाद दिन में वे घर पर रहती थी, समय बिताने के लिए घर की साफ़-सफ़ाई में लगी
रहती थी ..मैं स्कूल से आकर कम्प्यूटर पर...... तो वे मेरे पास आकर बैठती
मेरे बनाए पॉडकास्ट सुनना पड़ता उन्हें ...एक दिन शिल्पा जी की पोस्ट रामायण
पढ़कर सुनाई मैंने और उन्हें कहा अक्षर बड़े कर देती हूँ आप भी कर सकती हैं
रिकार्ड ..और बस हमारी माँ भी हमारी माँ ही हैं कर दिया श्री गणेश शिल्पा मेहता जी के ब्लॉग रेत के महल से एक पॉडकास्ट तैयार....
आस्था,श्रद्धा और विश्वास...साफ़ झलकता है माँ की आवाज में ........रेत के महल से रामायण भाग -१
11 comments:
thanks archana ji | aunty ji ko mera aabhaar - aur dhanyavad kahiyega :)
वाह .... माँ के प्रयास को नमन
वाह! आज तो इसे सुनकर आनंद आ गया. कैसा अद्भुत मेल है ये, श्रद्धा और टेक्नोलजी का. माता जी को मेरी ओर से सादर प्रणाम !
सही में,,माँ तो बस माँ ही होती है |
आस्थामयी, श्रद्धामयी और विश्वासमयी माँ का आशीर्वाद सब पर बना रहे, मेरा भी प्रणाम प्रेषित कीजियेगा।
अम्मा की आवाज़ में गजब का आत्मविश्वास है.. यदि यह अम्मा का पहला पॉडकास्ट है तो बस मेरी तरफ से चरण स्पर्श कर लेना उनके.. मिलाने का सौभाग्य तो मैंने दिल्ली में खो दिया था, लेकिन आज तुमने मिला दिया.. एक बिलकुल पारंपरिक शैली में किया गया पाठ और उनको सुनते हुए लगा जैसे हम घर के मंदिर में हाथ जोड़े, आँख बंद किये बैठे हैं और वो पाठ कर रही हैं!!
ये भी तुम ही कर सकती हो, शुक्रिया तुम्हारा!!
ममतामय.
अच्छा लगा सुनकर ... सादर नमन
सच है माँ तो बस माँ है माँ से बढ़कर कहीं कुछ भी नहीं है
aapki post padhkar bahut achchhaa laga ...
apni maa ki yaad aa gayi ...Abhar aapka is post ke liye ...!!
Ma ko mera naman ..!!
माँ तो माँ है ,उस जैसा कोई नहीं
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